उदयपुर 21 सितंबर. हिन्दी दिवस पखवाड़े के अन्तर्गत “समता संवाद मंच” द्वारा अपने कार्यालय पर आयोजित प्रबुद्धजन संवाद कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लखनऊ से पधारे सोशलिस्ट फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक श्री ओंकार सिंह थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एमपीयूएटी के पूर्व अधिष्ठाता प्रोफेसर विमल शर्मा ने की।
समता संवाद मंच के संस्थापक अध्यक्ष हिम्मत सेठ ने बताया कि अपने उद्बोधन मे ओंकार सिंह ने कहा कि संविधान के अनुसार आजादी के दस वर्षों मे हिन्दी को राष्ट्र भाषा घोषित करना था वो आज तक भी लंबित है । डा. राम मनोहर लोहिया ने हिन्दी को स्थापित करने व अंग्रेजी से मुक्ति दिलाने बाबत जीवन पर्यन्त पुर्जोर संघर्ष किया। आज पुन: देश को एकसूत्र मे पिरोने के लिये हिन्दी जैसी सक्षम भाषा की आवश्यकता है । चर्चा मे बढाते हुए हिम्मत सेठ ने कहा कि हिन्दी के विकास के साथ स्थानीय भाषा के विकास के सभी महान नेता पक्षधर रहे है ।
मंच के उपाध्यक्ष डा भरत सिंह राव ने विषय प्रवेश कराते हुए हिन्दी को एक विशिष्ट संपर्क भाषा बताया जो भारतीयों को सर्वमान्य रहेगी। कवि अशोक मंथन ने सुझाव दिया कि हर भाषा की लीपि देवनागरी भी बन जाए तो भाषायी तारत्मय उत्पन्न हो सकेगा।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन मे प्रो विमल शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार के सभी प्रयासों व प्रोत्साहनों के बावजूद कालेज / विश्विद्यालय शिक्षा मे हिन्दी का समावेश आशानुरुप नहीं हो पाया है। हिन्दी मे श्रैष्ठ पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराने का दायित्व हर शिक्षक का है ।
गाजियाबाद से पधारे जगत सिंह चौहान ने कहा कि बाजार, व्यापार, फिल्मों आदि मे तो हिन्दी को मान्यता मिल रही है किन्तु न्यायालय , तकनीकी कार्यों व कतिपय सरकारी कार्यों मे हिन्दी नहीं होने से आम व्यक्ति प्रभावित होता है।
एड. कुलदीप राणा, एड. नागेंद्र सिंह, पार्षद हिदायतुल्लाह, ई. सुरेश गोयल, साहित्यकार शैलेन्द्र सुधर्मा, बंशीलाल प्रजापत ने भी अपने विचार व्यक्त किये। डा. भरत सिंह रावत ने सबका आभार व्यक्त किया । “भारतीय संविधान कि प्रस्तावना” पठन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ