
नंगे पांव दौड़े श्रीकृष्ण, लगाया सुदामा को गले, और छलक पड़ीं सभी की आंखें
मित्रता की मर्मस्पर्शी व्याख्या के साथ भागवत कथा का भावपूर्ण समापन उदयपुर, 31 मई। "जिसके पास देने को कुछ नहीं, फिर भी स्नेह और श्रद्धा से जब वह मित्र के द्वार पर आता है, तो प्रभु स्वयं दौड़ पड़ते हैं… यही है सुदामा-कृष्ण की मित्रता की पराकाष्ठा।" छोटी ब्रह्मपुरी स्थित सहस्त्र औदीच्य धर्मशाला में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन के प्रसंगों ने भक्तों को भावविह्वल कर दिया। पूर्णाहुति पर श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन के प्रसंग के दौरान श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। कथावाचक पं. राकेश मिश्रा महाराज की वाणी में करुणा, प्रेम और आत्मीयता की अभिव्यक्ति ने…