ज्योतिष, दिशा शुल से भी भारी है आत्मबल, प्रभु की शरणःआचार्य श्री ज्ञानेश

उदयपुर। राम और रावण की राशि एक थी फिर भी राम ने रावण को मार दिया। कंस और कृष्ण की राशि एक थी पर कृष्ण ने कंस को मार दिया। अतः राशि महत्वपूर्ण नहीं है।
इसी तरह ग्रह शनि हो या राहु, उनका प्रभाव भी किसी एक व्यक्ति पर न होकर पूरे प्रदेश पर पड़ता है। चार दिशा में हर दिन किसी न किसी दिशा में दिशाशूल रहता है। सोमवार शनिवार को दिशाशूल पूर्व में, गुरुवार को दक्षिण में, मंगल बुध को उत्तर में, शुक्र रवि को पश्चिम दिशा में दिशाशूल होता है। ऐसी दशा में जिस दिशा में दिशाशूल उधर जाने पर क्या एक्सीडेंट हो जाएगा? जब दिशाशूल की दिशा में हर दिन सैकड़ो गाड़ियां जाती है पर कुछ नहीं होता तो आपके ही कैसे होगा।
सुकून अपशकुन परंपरा से चल रहे हैं, कुत्ते का ऊपर मुंह करके रोना, चलते हुए बाएं से दाएं जाते हिरन देखना, अचानक उल्कापात होना, आकाश में चीलें चक्कर काटना, कौवे कांव-कांव करना, सिर पर गिद्ध मंडराना, सुखी लड़कियों की भारी सामने आना, विषैला जंतु बाएं तरफ गधा दाहिनी तरफ दिखना अपशकुन का कारण है। गाय बछड़े का दूध पिलाती मिलना। सधवा जोड़ा सामने आना आदि के शुभ शकुन माने जाते हैं, लेकिन इन सबसे ऊपर है आपका आत्म बल और परमात्मा की शरण। यदि आप प्रभु की शरण लेकर निकलते हैं तो यह दोष भी कुछ बिगाड़ नहीं सकते। छोटा-मोटा दान देते रहिए, शील पालते रहें, सामायिक अनिवार्य रूप से करें तो वास्तु दोष हो या स्वप्न दोष हो या सुकून अपशकुन ज्योतिष सब ठीक हो जाने हैं।
आज प्रवचन हॉल भर जाने से आचार्य प्रवर दरवाजे के गेट पर बैठकर अंदर बाहर दोनों तरफ सुना रहे थे। चित्तौड़, बड़ी सादड़ी, बीकानेर, दिल्ली, मुंबई आदि बीसियों स्थल से भक्तगण पहुंचे। आज की रविवारीय गौतम प्रसादी का सौजन्य महिलारत्न श्रीमती सुषमा अनिल बंब ने लिया। इसी के साथ सुषमा अनिल बंब ने उदारता पूर्वक घोषणा की आचार्य प्रवर के चातुर्मास में जितने भी बाहर के दर्शनार्थी आएं, उनके तीनों टाइम भोजन की व्यवस्था उनकी ओर से होगी।

By Udaipurviews

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