उदयपुर। समता मूर्ति साध्वी जयप्रभा की सुशिष्या साध्वी डॉ. संयम ज्योति ने कहा कि कितने भी जीरो लगाओ। जीरो की कोई वैल्यू नहीं होती परंतु जीरो लिखने से पहले अगर अंक लिख दिया जाये तो हर जीरो की वैल्यू हो जाती है। इसी प्रकार कितने भी धर्मानुष्ठान तप, जप, धर्माराधना, दान शील आदि का पालन किया जाये परंतु सम्यग्दर्शन (राइट फेथ, राइट विजन) के अभाव में सब कुछ वैल्युलैस है जीरो की तरह। राइट विजन सम्यग दृष्टि अंक के समान है।
साध्वी ने कहा कि सम्यग्दर्शन आत्मा का भान कराता है। सम्यग दर्शन लेने देने की चीज नहीं है। गुरु भी सम्यग दर्शन दे नहीं सकते केवल व्यक्ति को विस्मृत आत्मा की स्मृति दिलाते है।
साध्वी ने कहा कि सम्यगदृष्टि भी संसार में रहती है परंतु उसके भीतर संसार नही रहता जैसे धाय सेठानी के बच्चे का सारा काम करती है परन्तु एक बात उसके भीतर सेट बैठी हुई है कि बेटा मेरा नही है सेठानी का है। ठीक वैसे सम्यग्दृष्टि सारे कर्तव्य निभाता है परंतु उसके मन में एक बात आत्मसात् है कि ये सब संयोग मात्र है। हकीकत तू तू है, मैं मैं हूँ। शरीर शरीर है और आत्मा आत्मा है। वह बाहर भीड में रहता है परंतु भीतर अकेला रहता है। वही मिथ्या दृष्टि वाला बाहर अकेला रहता है फ्तु भीतर में भीड़ से घिर जाता है।
सम्यग्दर्शन कराता है आत्मा का भानःसंयम ज्योति
