उदयपुर। जिले के पानरवा क्षेत्र में एक नाबालिग को जेल भेजे जाने का मामला सामने आया है। हालांकि जब इसका खुलासा हुआ तो तहसीलदार ने पुलिस का पेश इस्तगासा खारिज करते हुए उसे रिहा कराया। हालांकि इस प्रक्रिया में नाबालिग को पूरे एक दिन जेल में बिताने पड़े। थानाधिकारी ने भी मानवीय भूल बताते हुए गलती मानी है।
मिली जानकारी के अनुसार पानरवा थानाधिकारी भरत सिंह राजपुरोहित ने नाबालिग को बालिग बताकर पानरवा तहसीलदार हिम्मत सिंह राव के सामने पेश किया। पुलिस ने उसके साथ दो अन्य आरोपी भी पेश किए थे, जिन्हें शराब तस्करी के अंदेशे पर गिरफ्तार किया था। जिन्हें पाबंद किए जाने या जेल भेजे जाने का आग्रह किया गया था। तहसीलदार ने भी बिना तथ्य जांचे नाबालिग को जेल भेज दिया। जबकि नाबालिग को नियमानुसार बाल न्यायालय में पेश करना चाहिए था।
पता चलने पर पुलिस का इस्तगासा किया खारिज
तहसीलदार को जब बालिग होने का पता लगा तो उनको तुरंत पुलिस का इस्तगासा खारिज कर दिया और उसकी रिहाई के आदेश दिए। इस मामले में समर स्मृति फांउडेशन के प्रमुख गौरव नागदा ने पानरवा थानाधिकारी तथा तहसीलदार के खिलाफ उदयपुर आईजी अजयपाल लाम्बा को शिकायत दर्ज कराई है। दोनों को निलंबन करते हुए उनके खिलाफ केस दर्ज कराने की मांग की गई है।
यह था मामला
बताया गयाकि घटना 17 मई 2023 की है। कोटड़ा गैराज से स्कॉर्पियो को ठीक करके वाहन स्वामी को देने जा रहे 3 युवकों को पानरवा थाने के हैड कॉन्स्टेबल निकेश व विकास ने रोका। उन्हें शराब तस्करी के आरोप में हिरासत में ले लिया और थाने ले गए। शिकायत तो यह भी है कि थाने में तीनों के साथ पुलिस ने मारपीट भी की। अगले दिन पुलिस ने नाबालिग को बालिग बताकर तहसीलदार के समक्ष पेश कर दिया। जबकि नाबालिग के आधार कार्ड अनुसार उसकी उम्र 17 वर्ष 8 माह है। थानाधिकारी ने गलत तथ्य के साथ नाबालिग को तहसीलदार के समक्ष पेश किया। जहां से तहसीलदार ने नाबालिग को जेल भेज दिया।
थानाधिकारी ने मानी मानवीय भूल
पानरवा थानाधिकारी भरत सिंह राजपुरोहित ने बताया कि नाबालिग गुजरात का रहने वाला था। परिजनों की ओर से हमें कोई प्रमाण नहीं दिए गए। हमने नाबालिग को बालिग के रूप में जानबूझकर पेश नहीं किया। मानवीय भूल हो गई। इन तीन युवकों में एक युवक के खिलाफ पूर्व में शराब तस्करी के मामले ही चालान पेश किया जा चुका है।
नाबालिग को पहले भेज दिया जेल, पता चला तो तहसीलदार ने खारिज किया इस्तगासा
