राइजिंग राजस्थान: भारत की अमर धरोहर के लिए एक नई सुबह ; क्रांतिकारी सुझाव
परिचय: कालजयी महिमा की दृष्टि
राजस्थान—ऊँचे किलों, महलों, शांत झीलों और अद्भुत वास्तुशिल्प का प्रदेश—भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जीता-जागता प्रमाण है। लेकिन इस भव्यता के पीछे एक मौन संकट छिपा है। प्राचीन बावड़ियां, घाट, औधियां, हवेलियां, मंदिर और छतरियां जैसे अनगिनत ऐतिहासिक धरोहर धीरे-धीरे जर्जर हो रही हैं। यहां तक कि राजस्थान की जीवनरेखा मानी जाने वाली झीलें और जलाशय भी उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
इस क्षरण को रोकने के लिए राजस्थान सरकार को एक साहसिक और परिवर्तनकारी पहल का नेतृत्व करना होगा—पर्यटन विकास बांड (Tourism Development Bonds)। ये बांड केवल वित्तीय साधन नहीं हैं, बल्कि राजस्थान की उपेक्षित धरोहरों को पुनर्जीवित करने का एक दूरदर्शी उपाय हैं। यह पहल न केवल राजस्थान के पर्यटन परिदृश्य को बदल सकती है, बल्कि पूरे भारत में विरासत संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल बन सकती है।इस हेतु निम्नलिखित सुझाव हैं ;
पर्यटन विकास बांड: संस्कृति में निवेश, समृद्धि की फसल : पर्यटन विकास बांड औद्योगिक घरानों को राजस्थान की सांस्कृतिक पुनर्जागरण में साझेदार बनाने के लिए डिज़ाइन किए जा सकते हैं। इन बांडों में निवेश करके, उद्योगपति राज्य की उपेक्षित धरोहरों के संरक्षण और पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन बांडों से प्राप्त धनराशि का उपयोग स्मारकों के पुनरुद्धार, रखरखाव और आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप उन्नयन में किया जाएगा।
इन बांडों की विशिष्टता उनकी “विन-विन” स्थिति में है। जैसे-जैसे पुनर्जीवित स्मारक अधिक पर्यटकों को आकर्षित करेंगे, वैसे-वैसे बांडों का मूल्य भी बढ़ेगा, जिससे निवेशकों को आकर्षक वित्तीय लाभ प्राप्त होंगे। वित्तीय लाभों से परे, उद्योगपतियों को राजस्थान के इतिहास के संरक्षण में योगदान देने की संतुष्टि मिलेगी, जिससे उनकी कॉर्पोरेट प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।
अडॉप्ट ए मॉन्युमेंट: उद्देश्यपूर्ण CSR की पहल : उद्योगपतियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार “अडॉप्ट ए मॉन्युमेंट” योजना शुरू कर सकती है। इस पहल के तहत, जो कंपनियां और उद्योगपति राइजिंग राजस्थान समिट में समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर करते हैं, उन्हें अपनी CSR योजनाओं के तहत विरासत स्थलों को गोद लेने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
प्रत्येक गोद लिए गए स्थल—चाहे वह कोई प्राचीन बावड़ी हो, जीर्ण-शीर्ण हवेली हो, या भूली हुई छत्री—औद्योगिक घराने को एक निश्चित अवधि के लिए सौंपा जाएगा। इस अवधि में, संबंधित कंपनी उस स्मारक के पुनरुद्धार, रखरखाव और संरक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। बदले में, उन्हें अपने ब्रांड को सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त और सौंदर्यपूर्ण ढंग से प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा।
समग्र दृष्टिकोण: विशेषज्ञ निगरानी और गुणवत्ता की गारंटी : सुनिश्चित करने के लिए कि पुनरुद्धार कार्य उच्चतम गुणवत्ता के हों, सरकार को सेवानिवृत्त नौकरशाहों, विरासत विशेषज्ञों और पर्यटन हितधारकों की एक विशेष समिति का गठन करना चाहिए। यह समिति प्रत्येक परियोजना की निगरानी करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सभी कार्य सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से संवेदनशीलता के साथ पूरे किए जाएं।
राष्ट्रीय विरासत पुनरुद्धार के लिए एक ब्लूप्रिंट : एक बार सफल होने के बाद, राजस्थान का यह मॉडल पूरे भारत में लागू किया जा सकता है। यदि उद्योगपति अपने कुल निवेश का केवल 1% भी इस पहल में लगाते हैं, तो इसका प्रभाव परिवर्तनकारी होगा। यह पहल न केवल हजारों रोजगार पैदा करेगी, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा देकर सतत राजस्व के नए स्रोत भी बनाएगी।
समय की पुकार: सामूहिक प्रयास का आह्वान: इस पहल की सफलता राजस्थान के मंत्रियों, नौकरशाहों और उद्योगपतियों की सामूहिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करती है। यह अल्पकालिक लाभों से परे देखने और राजस्थान की विरासत को गौरवशाली बनाए रखने के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को अपनाने का आह्वान है।
निष्कर्ष: संरक्षण और समृद्धि की विरासत : ‘पर्यटन विकास बांड’ और ‘अडॉप्ट ए मॉन्युमेंट’ जैसी पहल केवल वित्तीय योजनाएं नहीं हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए राजस्थान की विरासत को जीवित रखने का एक ऐतिहासिक अवसर हैं। अब समय आ गया है कि हम मिलकर राजस्थान को पुनर्जीवित करें, बहाल करें और पुनः कल्पना करें। यह पहल भारत और दुनिया के लिए एक आदर्श बन सकती है।
लेखक;
यशवर्धन राणावत, ‘जैवाणा’
उपाध्यक्ष, होटल एसोसिएशन, उदयपुर
चार्टर अध्यक्ष, बीसीआई टूरिज्म (बिज़नेस सर्कल इंडिया)
संगठन सचिव, मेवाड़ क्षत्रिय महासभा संस्थान
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