उदयपुर, 17 जून। हुक्मगच्छाधिपति आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने सोमवार को धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया में हर चीज की कीमत होती है किंतु जीवन की कीमत हम कभी आंक पाये हैं क्या? अनमोल मनुष्य जीवन में हम प्रभु का ध्यान लगायें। सत्संग करने हेतु हमें मूल्य का नहीं, समय का इन्वेस्टमेन्ट करना पड़ता है। मोह का त्याग करने वाले, परिवार का त्याग करने वाले, राग-द्वेष आदि कषायों का त्याग करने वाले साधु ही सत्संग करा सकते हैं। यद्यपि साधु का जीवन बिना खर्चे का होता है, पर परिषह भरा तो रहता ही है। वर्तमान में इनकी संगत में रहने वाला ही वर्धमान बनता है। स्वाध्याय एवं सेवा के द्वारा भी जीवन को सार्थक किया जा सकता है। सभा को संत रत्नेश मुनि जी म.सा. ने भी सम्बोधित किया। श्री हुक्मगच्छीय साधुमार्गी जैन श्रावक संस्थान के मंत्री पुष्पेंद्र बड़ाला ने बताया कि आचार्य प्रवर विभिन्न क्षेत्रों को फरसते हुए संस्थान अध्यक्ष इंदर सिंह मेहता के सहेली मार्ग स्थित आवास पर पधारे, जहां प्रार्थना एवं धर्मसभा का आयोजन किया गया। आज बकरीद के अवसर पर हजारों जीवों की सद्गति हेतु सामूहिक नवकार मंत्र का जाप भी किया गया। मंगलवार को समाजसेवी भूपेन्द्र बाबेल के यहां प्रातःकालीन प्रार्थना होगी तत्पश्चात प्रातः साढ़े 8 बजे मोती मगरी स्थित जैन मंदिर में प्रवचन होंगे। प्रभावना रंजना मेहता की ओर से वितरित की गई।
संतों की संगत में रहने वाला ही वर्धमान बनता है: आचार्य विजयराज
