मानसून में झील स्वास्थ व पेयजल गुणवत्ता की निगरानी जरूरी: डॉ अनिल मेहता

घुलनशील ऑक्सीजन की आवश्यक मात्रा बनाए रखना जरूरी ताकि मछलियां नहीं मरे
पेयजल वितरण प्रणाली में   निर्धारित अवशेष  क्लोरिन जरूरी
अवशेष क्लोरिन के आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाए 
 
उदयपुर,  6 जून,  बरसात के मौसम में  झीलों , जलीय जीवों तथा  आम नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।    यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किए गए।
संवाद में जल विशेषज्ञ डॉ  अनिल मेहता ने कहा कि बरसाती पानी के प्रवाह के साथ सड़कों, आबादी क्षेत्रों  तथा  कैचमेंट में जमा  प्रदूषक तत्व  , मल मूत्र, कार्बनिक पदार्थ  इत्यादि गंदगी   झीलों, तालाबों  में पहुंच जाती   हैं । यह गंदगी झीलों  में घुलनशील ऑक्सीजन को  बहुत कम कर देती है। साथ ही लगातार  बादल एवं  सूर्य प्रकाश नहीं  से प्रकाश संश्लेषण रुक जाता   है  । इससे भी  झीलों  को ऑक्सीजन नहीं  मिल पाती  है। परिणाम स्वरूप  भारी मात्रा में  मछलियों की मृत्यु हो सकती है।
 मेहता ने कहा कि मानसून में झीलों से आपूर्ति हो रहे पेयजल की गुणवत्ता का ध्यान रखना भी जरूरी है। जलदाय विभाग को  जल वितरण प्रणाली  में नियमित तौर पर अवशेष क्लोरिन की मात्रा   जांच यह सुनिश्चित करना चाहिए कि घरों में पहुंच रहे पानी में  जीवाणु नहीं है ।  यह जांच नागरिकों के समक्ष  होकर   आंकड़े सार्वजनिक भी होने चाहिए ।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि मत्स्यकी विभाग को झीलों के जल की गुणवत्ता का निरंतर आंकलन कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मछलियों की   मृत्यु नहीं हो। पालीवाल ने कहा कि मानसून काल में मछलियों के शिकार पर रोक के कानून की सख्ती से पालना होनी चाहिए।
समाजविद नंद किशोर शर्मा ने कहा कि झीलों में फ्लोटिंग फाउंटेन को चलायमान रखना चाहिए ताकि  ऑक्सीजन झीलों में  निरंतर पहुंचती रहे। फाउंटेन को  रात्रि काल में विशेष तौर पर चला कर रखना जरूरी है   क्योंकि रात्रि में  ऑक्सीजन की ज्यादा कमी होती  है।
शिक्षाविद कुशल रावल ने कहा कि मानसून काल में आबादी क्षेत्रों  तथा सड़कों की निरंतर सफाई जरूरी है ताकि जल स्रोतों में गंदगी को जाने से रोका जा सके।
वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह ने कहा कि आम नागरिक , होटल- रेस्टोरेंट व्यवसायी भी अपनी जिम्मेदारी को समझे तथा कचरे को  अपने परिसर से बाहर नहीं जाने दे।
संवाद के पश्चात बारी घाट पर पीपल का वृक्षारोपण कर झीलों , तालाबों के संरक्षण का संकल्प लिया गया।
By Udaipurviews

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