जैनियो के नहीं जन जन के संत थे आचार्य विद्यासागर : सम्राट शास्त्री  

भारत के असली रत्न थे आचार्य विद्यासागर  
उदयपुर, 19 फरवरी। सम्यक ज्ञान शिक्षण समिति उदयपुर ने पूज्य गुरुदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। श्रद्धाजंलि सभा में पण्डित सम्राट जैन शास्त्री ने बताया कि यह भारत भूमि सदा से ही साधु संतो और भगवंतो के सानिध्य से सिंचित होती आई हैं,तब जा कर कही इसमें अध्यात्म और विज्ञान के फूल खिले हैं। आचार्य विद्यासागर महाराज इस भारत भूमि की वह विशाल धारा है। जो कल माघ शुक्ल नवमी के दिन अपने इस भव के अंतिम चरण तक निरंतर निर्बाध पहुंचे हैं। आज आचार्य भगवन भले ही हमारे बीच प्रत्यक्ष नहीं हैं।परंतु उनके संस्कार और आशीर्वाद सदैव प्राणी मात्र के लिए हैं।  मनुष्य पर्याय में त्याग की उत्कृष्टता को प्राप्त आचार्यश्री 6  रसो दूध घी तेल, नमक आदि के त्यागी थे,कभी किसी वाहन का प्रयोग नहीं करते,प्रत्येक मौसम में बिना वस्त्रों के विचरण,सर्दियों में नदी किनारे,गर्मियों में पर्वतों पर अपनी साधना करना,किसी से किसी भी प्रकार की अपेक्षा नहीं,मोबाइल टीवी कूलर एसी से कोई वास्ता नहीं,कोई बैंक बैलेंस नही कोई मठ या स्वयं का तीर्थ नहीं,विश्व कल्याण की भावना सर्वाधिक दीक्षाए 350 से अधिक देने वाले हजारों ब्रम्हचारी भैया-बहन और लाखो – करोड़ों अनुयाई फिर भी सदैव निर्मदता को लिए, भूमि की ओर निहारती दृष्टि में प्रेम और वात्सल्य छलकता हैं जिनके। आचार्यश्री ने मात्र धार्मिकता और अध्यात्मता को चरम पर नहीं पहुंचाया अपितु सामाजिक दृष्टि से भी आचार्य भगवन अनोखे और अनूठे थे, हजारों लोगो को हथकरघा से रोजगार उपलब्ध कराया, लोगो को अहिंसक तरीके से आजीविका चलाना सिखाया। स्त्रियों को शिक्षा बढ़ावा देने के लिए एक नहीं अनेक प्रतिभास्थली और कन्या विद्यालय महाविद्यालय स्थापित किए।आचार्य विद्यासागर महाराज की प्रेरणा और आशीर्वाद से आज भारत देश में सैकड़ों विद्यालय,महाविद्यालय और सामाजिक संस्थाएं संचालित हैं।आयुर्वेद को बढ़ावा देने वाले,भारतीय संस्कृति का संबल बन संस्कृति को उत्कृष्टता देने वाले आचार्य श्री आज इस भारत भूमि के वह रत्न थे जिसके आज कोहिनूर जैसे भी अनेकों रत्न फीके हैं।मंदिर में स्थापित मूर्तियों के अलावा अगर कही किसी ने भगवान को देखा हैं तो वह आचार्यश्री के रूप में,राष्ट्र कल्याण के लिय हर समय सजग रहने वाले पूज्य गुरुदेव आचार्य विद्यासागर महाराज के पावन चरणों में सादर वंदन नमोस्तु समाधि सम्राट।

By Udaipurviews

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