अधिकाधिक प्रकरणों के निस्तारण पर दिया जोर
बांसवाड़ा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष (जिला न्यायाधीश) अरूण कुमार अग्रवाल द्वारा बांसवाड़ा न्यायक्षेत्र के बांसवाड़ा मुख्यालय पर पदस्थापित समस्त न्यायिक अधिकारियगण की बैठक ली गई, जिसमें आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत दिनांक 09.12.2023 के सम्बन्ध में चर्चा की गई तथा विधिक सेवा अधिनियम के तहत माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार समय-समय पर लोक अदालत का आयोजन किया जाता है ताकि न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में विवाद का अंतिम रूप से निस्तारण हमेशा के लिए सौहार्दपूर्ण तरीके से हो सकें और इसी क्रम में आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत दिनांक 09.11.2023 को समय प्रातः 10ः00 बजे से सांय 05ः00 बजे तक ऑनलाइन / ऑफलाइन आयोजन किया जायेगा।
प्राधिकरण के अध्यक्ष अग्रवाल द्वारा आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत हेतु न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों को रैफर करने तथा जिन प्रकरण को लोक अदालत के लिए रैफर किया गया, उन प्रकरणों में पक्षकारों को बुलाकर प्री-काउंसलिंग करने तथा निर्धारित दिनांक व समय पर डोर-स्टेप काउंसलिंग करवाने का भी निर्देश प्रदान किया है ताकि लोक अदालत में अधिक-से-अधिक प्रकरणों का निस्तारण हो सकें। लोक अदालत हेतु रैफर किये गये प्रकरणों में समझाईश के लिए विशेषज्ञ व्यक्तियों की बतौर काउंसलर सेवाएं ली जा सकती है। उक्त के अतिरिक्त प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री अग्रवाल द्वारा सभी बीमा कंपनियों को आहवान किया कि, जिनके प्रकरण मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण या श्रम न्यायालय के समक्ष लंबित है, वे उन सभी प्रकरणों की सूची संबंधित न्यायालय या अधिकरण में पेश करें, जिनमें वे राजीनामा करने हेतु तत्पर है तथा न्यायिक अधिकारीगण द्वारा भी इस प्रकार के प्रकरणों की सूची ली जावें ताकि पक्षकारों को बुलाकर प्री-काउंसिलंग की व्यवस्था की जा सकें। उक्त के लिए न्यायिक अधिकारीगण को बीमा कंपनियों से संपर्क स्थापित करने के निर्देश प्रदान किये।
राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से प्रि-लिटिगेशन में किसी नागरिक एवं सरकार या उसके किसी विभाग/उपक्रम के मध्य सभी प्रकार के विवाद (राजस्थान लिटिगेश पाॅलिसी, 2018 के तहत निराकरण के प्रयास), मोटर दुर्घटना दावों से संबंधित क्लेम के विवाद, धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के विवाद, धन वसूली के सभी प्रकार के विवाद (Agriculture Debt Relief Act ds ekeyksa@Securitization and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Intrest Act (SARFAESI Act, 2002) के तहत वसूली के हर प्रकार के मामलों सहित), गृहकर/नगरीय विकास कर के विवाद (जो स्थानीय निकायों द्वारा वसूल किया जाता है), शहरी जमाबंदी के विवाद (जो डवलपमेंट अथाॅरिटीज/यूआईटी द्वारा वसूली की जाती है), फसल बीमा पाॅलिसी से संबंधित विवाद, व्यापारिक प्रतिष्ठानों एवं ग्राहकों के मध्य विवाद, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद, पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं यथा निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना, प्रसूति सहायता योजना, शुभ शक्ति योजना, निर्माण श्रमिक सुलभ्य आवास योजना, निर्माण श्रमिक औजार/टूलकिट सहायता योजना, निर्माण श्रमिक जीवन व भविष्य सुरक्षा योजना, निर्माण श्रमिक एवं उनके आश्रित बच्चों द्वारा भारतीय/राजस्थान प्रशासनिक सेवा हेतु आयोजित प्रारम्भिक प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने पर प्रोत्साहन योजना, निर्माण श्रमिकों के पुत्र/पुत्री का आई.आई.टी./आई.आई.एम. में प्रवेश मिलने पर ट्यूशन फीस की पुनर्भरण योजना, निर्माण श्रमिकों को विदेश में रोजगार हेतु वीजा पर होने वाले व्यय की पुनर्भरण योजना एवं निर्माण श्रमिक अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं हेतु प्रोत्साहन योजना, आदि से संबंधित लम्बित प्रार्थना-पत्र, बिजली, पानी, मोबाईल, क्रेडिट कार्ड एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित विवाद, भरण-पोषण/बालकों की अभिरक्षा से संबंधित सभी प्रकार के विवाद, सभी प्रकार के राजस्व विवाद (सीमाज्ञान/पैमाइश/पत्थरगढ़ी/जमाबन्दी-रिकाॅर्ड शुद्धि/नामान्तरण /रास्ते का अधिकार, सुखाचार एवं डिवीजन आॅफ होल्डिंग सहित, अन्य सभी प्रकार के सिविल विवाद, सर्विस मैटर्स के विवाद (पदोन्नति एवं वरिष्ठता संबंधी विवादों को छोड़कर), उपभोक्ता विवाद, जन उपयोगी सेवाओं से संबंधित विवाद, अन्य राजीनामा योग्य विवाद (जो अन्य अधिकरणों/आयोगों/मंचों/अथाॅरिटी/आयुक्त/प्राधिकारियों के क्षेत्राधिकार से संबंधित हैं आदि तथा न्यायालय में लंबित प्रकरणों में धारा 138 एन.आई. एक्ट से संबंधित समस्त फौजदारी अपील/रिविजन, वैवाहिक विवाद (तलाक को छोड़कर), भरण-पोषण के विवाद/बच्चों की अभिरक्षा के प्रकरण/घरेलू हिंसा, आदि से संबंधित समस्त प्रकरण, राजीनामा योग्य आपराधिक मामलों से संबंधित समस्त प्रकरण (फौजदारी अपील, फौजदारी निगरानी याचिकाएं, मोटर दुर्घटना दावों से संबंधित समस्त प्रकरण, समस्त दीवानी निगरानी याचिकाएं, समस्त दीवानी पुनरावलोकन याचिकाएं, 05 वर्ष से अधिक पुराने प्रकरणों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा, दीवानी प्रथम अपील (05 वर्ष से अधिक पुरानी अपीलों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा), वसीयत संबंधित प्रकरण, अन्य समस्त राजीनामा योग्य सिविल प्रकृति के प्रकरण, राजस्व विवाद से संबंधित समस्त प्रकरण आदि प्रकरणों का निस्तारण आपसी राजीनामे से सौहार्दपूर्वक किया जायेगा। राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन अर्थात् ऐसे प्रकरण जिनमें भविष्य में न्यायालय में विवाद के आने की संभावना हो, उन प्रकरणों को भी पक्षकार के आवेदन पेश करने पर राजीनामे के जरिये विवाद का निस्तारण करवा सकते हैं। उन सभी प्रकरणों को जिनमें राजीनामे की संभावना हो, न्यायालय द्वारा लोक अदालत को रैफर किया जायेगा तथा कोई भी पक्षकार अपना आवेदन प्रस्तुत करके अपना प्रकरण लोक अदालत में रखवा सकता है। उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन समस्त प्रकार के न्यायालयों, जिसमें समस्त राजस्व न्यायालय, समस्त उपभोक्ता मंच, सभी प्रकार के अधिकरणों, लैबर न्यायालयों में किया जायेगा। लंबित प्रकरणों एवं प्री-लिटिगेशन दोनों प्रकार के प्रकरणों में पक्षकारों को आॅनलाईन व आॅफलाईन सुनवाई का अवसर प्रदान किया जायेगा।
मीटिंग के दौरान बांसवाड़ा न्यायक्षेत्र के न्यायिक अधिकारीगण अभय जैन, न्यायाधीश मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, बांसवाड़ा, मुकेश त्यागी, न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय, बांसवाड़ा, परमवीर सिंह चैहान, न्यायाधीश पोक्सो न्यायालय, बांसवाड़ा, नवीन कुमार चैधरी, अपर सेशन न्यायाधीश, बांसवाड़ा, राकेश रामावत, सचिव (अपर जिला न्यायाधीश) जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांसवाड़ा, महेंद्र सोलंकी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बांसवाड़ा, पूरन सिंह मीणा, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बांसवाड़ा, श्रीमति नीलम नाहर, न्यायिक मजिस्ट्रेट, बांसवाड़ा एवं सुश्री रीतिका श्रोती, अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट, बांसवाड़ा आदि उपस्थित रहें।
जिला न्यायाधीश ने ली राष्ट्रीय लोक अदालत हेतु न्यायिक अधिकारियगण की बैठक
