उदयपुर, 5 अप्रेल ( ब्यूरो)। महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन आदित्य एल-1 में बुधवार को ऑर्बिटिंग सोलर एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (हीलिओस) उपकरण जोड़ दिया गया। जिसमें उदयपुर टीम की महत्वपूर्ण भूमिका रहीं।
अहमदाबाद भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक प्रो. अनिल भारद्वाज ने उदयपुर में ‘बहु-स्तरीय सौर परिघटनाएं: वर्तमान क्षमताएं और भावी चुनौतियां (यूएसपीडब्ल्यू -2023)’ विषय पर चल रही सौर भौतिक कार्यशाला के समापन पर मीडिया के चुनिंदा सदस्यों से हुई संक्षिप्त वार्ता में इसका खुलासा किया। उन्होंने बताया उदयपुर टीम द्वारा तैयार हाई एनर्जी एल-1 ऑर्बिटिंग सोलर एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (हीलिओस) उपकरण आदित्य एल-1 में जोड़े गए विभिन्न उपकरणों में से एक है, जो हार्ड एक्सरे का अध्ययन करेगा।
कार्यशाला संयोजक तथा उदयपुर सौर वेधशाला में प्रो. भुवन जोशी ने बताया कि सूर्य से आने वाले अधिक ऊर्जा वाली हार्ड एक्सरे के अध्ययन के लिए उदयपुर सौर वेधशाला की टीम ने हाई एनर्जी एल-1 ऑर्बिटिंग सोलर एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (हीलिओस) का प्रस्ताव दिया था। इसरो ने प्रस्ताव को हरी झंडी दी। इसके बाद बेंगलूरु के सेटेलाइट सेंटर के साथ संयुक्त रूप से कार्य कर हीलिओस तैयार कर लिया गया और यह उपकरण आदित्य एल-1 में जोड़ दिए जाने की सूचना आई है।
सूर्य से निकलने वाले पार्टिकल्स से बचाव में मिलेगी मदद
आदित्य एल-1 में लगे सात अलग-अलग तरह के उपकरण अलग-अलग तरह का डाटा उपलब्ध कराएंगे। इन जानकारियों के एकत्र होने के बाद उनके विभिन्न तरह के अध्ययन होंगे और इससे पृथ्वी पर पड़ने वाले प्रभावों में नुकसान वाली आशंकाओं के समाधान के प्रयासों पर विचार किया जा सकेगा। सूर्य से विकिरणों के साथ कुछ पार्टिकल्स भी आते हैं, जो हमारे सेटेलाइट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं, आदित्य एल-1 से प्राप्त डेटा के अध्ययन से इन पार्टिकल्स के आने की जानकारी यदि यथाचित समय पूर्व मिल जाती है तो इनसे होने वाले बड़े नुकसान को कम करने का प्रयास किया जा सकेगा। ध्रुवीय क्षेत्रों में इन पार्टिकल्स के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है, जो नुकसान दे सकता है। ऐसा कनाडा में 1989 में हुआ था, जब वहां आधे कनाडा में इलेक्ट्रिसिटी गुल हो गई थी। आदित्य एल-1 के अध्ययनों के जरिये ऐसे नुकसानों से भी बचने का प्रयास किया जा सकेगा।
आदित्य एल-1 पूर्ण स्वदेशी मिशन
प्रो. भारद्वाज ने बताया कि आदित्य एल-1 भारत का एक ऐसा अंतरिक्ष मिशन जो पूर्णतः स्वदेशी है। इससे प्राप्त होने वाले डेटा का सबसे पहला लाभ भारत के विज्ञान जगत को मिलेगा। अगले तीन माह में आदित्य एल-1 मिशन को अंतरिक्ष में स्थापित करने की तैयारी चल रही है। आदित्य एल-1 चंद्रमा की दूरी के मुकाबले पृथ्वी से 4 गुना दूरी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
आदित्य एल-1 मिशन में उदयपुर की भूमिका रही अहम, उदयपुर टीम ने तैयार किया हीलिओस
