उदयपुर । शक्ति नगर स्थित श्री बिलोचिस्तान भवन में आयोजित पूज्य वैकुण्ठ धाम के संत, परम श्रद्धेय बाबा श्री संत कुमार महाराज साहब की द्वितीय पुण्यतिथि पर तीन दिवसीय भव्य धार्मिक आयोजन का आज मंगलवार 3 जून को भावभीने समापन के साथ समापन हुआ। यह आयोजन सिंधी समाज की भक्ति, श्रद्धा और सेवा भावना का उत्कृष्ट उदाहरण बनकर उभरा।
तीन दिनों तक गूंजते रहे गुरबाणी के अमृतमय शब्द, जिसमें “जो तू प्रेम खेलण का चाव, सिर धर तली गली मेरी आओ” जैसे वचनों ने श्रद्धालुओं के हृदय में समर्पण, प्रेम और त्याग की भावना को जागृत किया। इस पावन आयोजन में सिंधी समाज के वरिष्ठजन, युवा, महिलाएं, संत श्रद्धालु और आसपास के नगरों से पधारे सेवाभावी लोग शामिल हुए।
आज के समापन दिवस की शुरुआत प्रातः 8:00 बजे श्री आसादीवार, शब्द कीर्तन व रागमाला के पाठ से हुई। तत्पश्चात श्री पाठ साहिब के भोग के साथ आरती और सामूहिक अरदास संपन्न की गई। आयोजन का समापन सर्वजन के लिए आयोजित लंगर साहिब (भोजन प्रसाद) के साथ हुआ, जहाँ समाजजनों ने एकता और समरसता का परिचय देते हुए एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण किया।
वैकुण्ठ धाम के गुरुजी श्री शैलेश संत कुमार ब्रिजवानी ने बताया कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, अपितु संत परंपरा की शिक्षाओं को आत्मसात करने और सेवा, कीर्तन, संगत तथा वंड छकना की मर्यादाओं को जनमानस में रोपित करने का एक सशक्त प्रयास है।
गुरबाणी में कहा गया है –
“नाम जपना, कीरत करना, वंड छकना”
यही तीन स्तंभ इस आयोजन के मूल में रहे, जिसने न केवल बाबा श्री की स्मृति को सजीव किया, बल्कि समाज को आध्यात्मिक एकता और संतों की शिक्षाओं की ओर अग्रसर किया।
यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति और गुरु परंपरा की गहराई को उजागर करता हुआ, समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। बाबा श्री संत कुमार महाराज साहब की पुण्यस्मृति को समर्पित यह सेवा पर्व वर्षों तक श्रद्धालुओं के हृदय में अमिट रहेगा।