कार्यक्रम में देशभर से जन्मजात विकलांगता व पोलियो की निःशुल्क सर्जरी व कृत्रिम हाथ-पांव लगवाने के लिए आए दिव्यांगजन व उनके परिजन उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के विकास में जरूरतमंदों की सेवा का भी बड़ा महत्व है। पीड़ितों, दिव्यांगों व असहायों की मदद से न केवल उन्हें राहत मिलेगी बल्कि सेवा करने वाले के जीवन में आने वाली समस्याएं भी स्वतः दूर होंगी। इसीलिए हमारे शास्त्रों में दान’ को महत्वपूर्ण माना गया है। व्यक्ति को अपनी आय का 10वां हिस्सा दीन-दुखियों की सेवा में लगाना ही चाहिए। जिसने सेवा को स्वभाव बना लिया उसके लिए सफलता के शिखर चढ़ना सहज होगा।
कार्यक्रम में बिहार से आए दिव्यांग रोहित यादव ने बताया कि सड़क हादसे में एक पांव खोने के बाद वे अवसाद ग्रस्त हो गए थे। लेकिन यहां कृत्रिम पांव लगने के बाद उन्हे नई जीवनी शक्ति मिली है और परिवार का फिर से आर्थिक सम्बल बन सकेंगे । उन्होंने कहा कि वे पांव कटने के बाद लगातार भगवान का स्मरण करते रहे। दो वर्ष पूर्व सलूम्बर में करंट से एक हाथ गंवा देने वाले सुरेंद्र मीणा ने भी तकलीफ के दिनों को याद करते हुए कहा कि आत्मविश्वास कभी नहीं खोया। व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए क्यों कि निराशा भी मृत्यु के समान ही है। झारखंड के निर्मल कुमार, करौली के एस बीर सिंह,धर्मेंद्र, भरतपुर के अखिल वर्मा ने भी विचार व्यक्त किए।
प्रशांत अग्रवाल ने कार्यक्रम में दिव्यांगजन की समस्याओं के हल लिए मार्गदर्शन देते हुए कि जीवन में हमेशा इस बात को याद रखे कि असंभव कुछ भी नहीं है। चाहे परिस्थितियां कितनी विपरीत क्यों न हों।