कृषि कार्यों में बैलों को उपयोग में लेने वाले लघु एवं सीमांत किसानों को मिलेगा 30 हजार रुपये प्रति बैल जोड़ी अनुदान
सरकार द्वारा दिशानिर्देश जारी, शीघ्र शुरू होगी ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया
उदयपुर, 04 अप्रैल। राज्य सरकार ने प्रदेश के लघु एवं सीमांत किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और पारंपरिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना की घोषणा की है। मुख्यमंत्री बजट घोषणा 2025-26 के तहत राज्य सरकार किसानों को खेती कार्य में प्रयुक्त होने वाली बैल जोड़ी पर 30 हजार रुपये प्रति जोड़ी का अनुदान देगी। यह योजना उन किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी जो पारंपरिक तरीकों से खेती करते हैं और महंगे कृषि यंत्र खरीदने में सक्षम नहीं हैं। इस हेतु हाल ही कृषि विभाग द्वारा दिशानिर्देश जारी किए गए है तथा शीघ्र ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
योजना के तहत पात्रता और अनुदान प्राप्त करने की शर्तें : संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) सुधीर कुमार वर्मा ने बताया कि सरकार की इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को कुछ आवश्यक शर्तों को पूरा करना होगा जिसके तहत किसान के पास कम से कम दो बैल होने चाहिए, जिनका उपयोग खेती कार्य में किया जा रहा हो। केवल लघु एवं सीमांत किसानों को ही इस योजना का लाभ मिलेगा, जिसके लिए तहसीलदार से प्रमाण पत्र अनिवार्य होगा। योजना के तहत केवल 15 माह से 12 वर्ष तक की आयु के बैल पात्र होंगे जिनका पशु बीमा होना आवश्यक होगा।किसानों के पास अपनी भूमि का स्वामित्व प्रमाण पत्र या फिर वनाधिकार पट्टा होना चाहिए। राज्य के जनजातीय बहुल क्षेत्रों में निवास करने वाले किसानों को भी वनाधिकार पट्टे के आधार पर योजना का लाभ मिलेगा।
ऐसे होगा आवेदन : सरकार ने इस योजना को पारदर्शी और सरल बनाने के लिए आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन रखा है। किसान स्वयं या फिर नजदीकी ई-मित्र केंद्र के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार होगीरू किसान को राजस्थान साथी पोर्टल पर जाकर आवेदन पत्र भरना होगा। बैल जोड़ी की हालिया फोटो पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। बैलों की बीमा पॉलिसी और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक होगा।किसान को 100 रुपये के स्टाम्प पर शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा।किसान को अपनी लघु या सीमांत श्रेणी का प्रमाण पत्र भी अपलोड करना होगा। सभी आवश्यक दस्तावेज स्कैन एवं अपलोड करने होंगे और ई-प्रपत्र (म्.थ्वतउ) को सत्यापित कर जमा करना होगा। आवेदन जमा होने के बाद, राज्य सरकार द्वारा उसकी स्क्रूटनी ;ैबतनजपदल) की जाएगी और 30 दिनों के भीतर स्वीकृति दी जाएगी।
योजना से किसानों को होगा बड़ा फायदा : सरकार की इस पहल से हजारों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां आज भी बैल जोड़ी का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है, यह योजना किसानों की आर्थिक मदद करेगी और खेती की उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक साबित होगी। योजना की स्थिति ;ैजंजनेद्ध और स्वीकृति की जानकारी किसानों को एसएमएस और ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से दी जाएगी। साथ ही, वे स्वीकृति आदेश या प्रमाण पत्र को स्वयं प्रिंट निकालकर प्राप्त कर सकते हैं। सरकार की इस योजना से प्रदेश के पारंपरिक किसानों को न केवल राहत मिलेगी बल्कि यह कृषि क्षेत्र को और अधिक सशक्त बनाने में भी मददगार साबित होगी।
उन्नत पशु प्रजनन प्रबंधन विषयक संगोष्ठी
उदयपुर, 04 अप्रैल। राजकीय पशुपालन प्रषिक्षण संस्थान में उन्नत पशु प्रजनन प्रबंधन विषयक संगोष्ठी हुई। इसमें उपनिदेषक डॉ सुरेंद्र छंगाणी ने कहा कि गाय, भैसों में कृत्रिम गर्भाधान से प्राप्त वत्स उत्पादन में अब बछड़ियां ही बछड़ियां (मादा) पैदा होने की प्रबल संभावना है। अनुमानित 90 प्रतिशत से अधिक बछड़ियां (मादा) ही कृत्रिम गर्भाधान से पैदा होगी, क्योंकि विभाग द्वारा अब सैक्स सोर्टेड वीर्य कृत्रिम गर्भाधान कार्य के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। डॉ. छंगाणी ने बताया कि पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन में वृद्धि कर अपनी आय को शीघ्र दुगुनी करने के लिए सैक्स सोर्टेड सीमन से अपने पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान करवाना चाहिए, ताकि मादा वत्स उत्पन्न होने की प्रबल संभावना रहे। संस्थान की डॉ. पदमा मील ने कहा कि उन्नत पशु प्रजनन प्रबंधन के लिए पशु आहार का सर्वाधिक महत्व है। अतः पशुओं को आवश्यक समस्त तत्वों से परिपूर्ण पशु आहार देना सुनिश्चित करें। संस्थान के डॉ. ओमप्रकाश साहू ने पशु प्रजनन संबंधी रोगों की जानकारी देते हुए इससे पशुओं को बचाने की जानकारी दी। पशुपालन डिप्लोमा के विद्यार्थियों ने सेक्स सोर्टेड वीर्य से पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान करवाने का व्यापक प्रचार प्रसार कर पशुपालको को जागरूक करने पर जोर दिया।