उदयपुर – शहर की जानी-मानी सांस्कृतिक संस्था सुरों की मण्डली और साहित्यिक संस्था लफ़्ज़ों की महफ़िल के तत्वावधान में अशोका पैलेस के मधुश्री ऑडिटोरियम में दो भव्य, ऐतिहासिक और यादगार कार्यक्रम आयोजित किए गए. जिसमें पहले सुर साधकों ने प्रतिष्ठित और अनुभवी गायक कैलाश कैवल्या से गायकी के व्यावहारिक गुर सीखे तथा दूसरे कार्यक्रम में 20 से अधिक कवियों और शायरों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं.
संस्थापक अध्यक्ष मुकेश माधवानी ने बताया कि ऐसे कार्यक्रमों से संगीत और काव्य सृजन के क्षेत्र में लेखकों को सृजन के नए अवसर और माहौल मिलेगा. कार्यक्रम की अध्यक्षता ईश्वर जैन “कौस्तुभ” ने की तथा मुख्य अतिथि महेन्द्र चावला थे. नूतन वेदी तथा अक़बर ख़ान के कुशल मंच संचालन ने कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए.
कैलाश कैवल्या की संगीत कार्यशाला में निखिल महेश्वरी, संतोष श्रीवास्तव, लोकेश जोशी, इंजि. अखिलेश शर्मा, नीलम कौशल, कमल जुनैजा, श्याम एस. मेहता, भगवती मेनारिया, पुष्कर गौड़, तथा भगवती लाल चौहान ने अपनी सुरीली प्रस्तुतियां दीं.
कैवल्या ने गायकी की तकनीक के साथ-साथ, स्टेज पोश्चर तथा सही तरीके से माईक पकड़ने की भी जानकारी दी और कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा, जिसमें जिज्ञासु दर्शकों द्वारा गायकी पर पूछे गए प्रश्नों का ज़वाब देकर उनका मार्गदर्शन किया.
संगीत कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के समक्ष द्वीप प्रज्वलन, श्री कैवल्या का उपरणे द्वारा सम्मान के साथ हुआ तथा निखिल महेश्वरी ने सबका आभार व्यक्त किया.
दोपहर बाद आयोजित काव्यांजलि-2024 का शुभारम्भ नूतन वेदी की सरस्वती वन्दना से हुआ. इस ओपन माईक काव्य महासंगम में डॉ. शाहिद इक़बाल शेख, सुश्री साराह आलमशाह, एसडी कौशल, नीलम कौशल, नूतन वेदी, एसडी मठपाल, असद ख़ान, पुरुषोत्तम शाकद्वीपीय, रवि प्रकाश अरोड़ा, कमल जुनैजा, विकास गौड़, सीताराम, अक़बर ख़ान तथा कौस्तुभ ने अपनी रचनाएं पढ़ीं. श्री कौस्तुभ ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में मुकेश माधवानी के महान् योगदान को आदर्श उदाहरण बताया, जिसे आने वाली कई दशकों तक याद किया जाएगा.
कार्यक्रम में श्रीमति कैवल्या, प्रेमलता कुमावत, धर्मपाल, गोविन्द आदि भी उपस्थित थे.