भारतीय सनातन विद्या एवं वैदिक ज्ञान को अपनाकर पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा – प्रो. सारंगदेवोत
यदि हम पर्यावरण की चिंता करेंगे तो भगवान आसानी से मिल जाएंगे: डॉ. राजेन्द्रसिंह हमें प्रकृति से उतना ही लेना है जितना अपने पसीने से पुनः लौटा सकंे: डॉ. राजेन्द्रसिंह उदयपुर 04 जुन। सागर से उठा बादल बनके, बादल से गिरा जल हो करके। फिर नहर बना नदियां गहरी, तेरे बिन प्रकार तू ही तू ही है। उक्त पंक्तियों के माध्यम से विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर शनिवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित ‘धरती एक है जल एक है।’ विषयक व्याख्यान कार्यक्रम में प्रसिद्ध पर्यावरणविद् व मैगसेसे पुरस्कार विजेता पानी…