उदयपुर, 23 जून। नारायण सेवा संस्थान के हिरण मगरी, सेक्टर-4 स्थित मानव मन्दिर परिसर में त्रिदिवसीय ‘अपनों से अपनी बात’ कार्यक्रम के समापन सत्र में संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने उन दिव्यांगजन से वार्ता की जिनकी निःशुल्क सर्जरी, कृत्रिम अंग हाथ-पैर अथवा रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रदान किए जाने के बाद उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आए। इनमें से कुछ ऐसे भी थे जिनकी दिव्यांगता सुधार सर्जरी भी संस्थान में हुई और मोबाईल सुधार, सिलाई अथवा कम्प्युटर प्रशिक्षण के बाद उन्हें संस्थान द्वारा रोजगार से भी जोड़ा गया।
संस्थान अध्यक्ष ने अपने सम्बोधन में कहा कि व्यक्ति को जीवन में कई बार ऐसे दौर से गुजराना पड़ता है, जब वह हताश-निराश हो जाता है। लेकिन यह उनकी परीक्षा की घड़ी होती है, जिसमें उन्हें हौसले और हिम्मत से अपना कर्म करते रहना चाहिए। ईश्वर से कुछ मांगने की जरूरत नहीं है, वह बिना मांगे ही देने वाला है। शर्त यही है कि आप धर्म और न्याय के रास्ते पर चलें। कर्म ही धर्म है। दैनंदिन जीवन में मनुष्य से अनायास ही सही धर्म विरूद्ध कार्य भी हो जाते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम जो भी करें, उस पर हमारी सतत निगाह रहे। किसी के प्रति नकारात्मक सोचना भी अधर्म है। यदि हम अपने लिए कुशल-मंगल चाहते हैं तो दूसरों के प्रति भी हमारे हृदय में शुभ की कामना होनी चाहिए। व्यक्ति दुनिया को तो देखता है किन्तु अपने आपको देखने का उसके पास समय नहीं है। यही सबसे बड़ी भूल है। हमें अपने आपसे प्रश्न करना चाहिए कि मैं कौन हूं और मेरे जन्म का उद्देश्य क्या है? भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी ने अपने आपको देखा और आत्म परीक्षण भी किया। यही वजह है कि वे महात्मा हो गये। धन, प्रतिष्ठा, वचस्र्व से भी बड़ी चीज है मानवता। इसी मानवता को जिसने अपने भीतर खोज लिया, उसका जन्म सार्थक हो गया।
धन और वर्चस्व से बड़ी है मानवताः प्रशान्त अग्रवाल
