आलोक में एक दिवसीय शिविर Envision 2024 का आयोजन

सत्य ही सनातन का आधार – डाॅ. कुमावत
उदयपुर 19 जून। यहाँ सत्य का वास होता है वहाँ शिवतत्व होता है। शिवतत्व जहाँ होगा वहाँ सुन्दरता स्वतः प्रस्फूटित होगी। सत्य के साथ ही शिव है और शिव के साथ ही सुन्दरता है। जीवन में जिसके सत्यम शिवम सुन्दरम है वही संस्कृति के गूढ रहस्यों को समझ सकता है। उक्त विचार आलोक संस्थान, हिरण मगरी सेक्टर-11 में सभी आलोक संस्थान की सभी शाखाओं के अध्यापकों के लिये एक दिवसीय शिविर Envision 2024 के शुभारम्भ के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए शिक्षाविद्, आलोक संस्थान के निदेशक डाॅ. प्रदीप कुमावत ने कहे।
डाॅ. कुमावत ने कहा कि सनातन संस्कृति का मूल आधार सत्य है। भारतीय संस्कृति श्रुति परपम्परा से आगे बढ़ी है। अतः भारत के इन तत्वों को शिक्षा के मंदिरों में आज आवष्यकता है कि जो उदासीनता दिख रही है उसके पीछे मूल भाव उन गूढ रहस्यों को नहीं जान पाना है। अब समय आ गया है कि अब भारत के इन गूढ रहस्यों को विद्यार्थीयों को समझाया जाए और अपनी संस्कृति के प्रति गर्व किये जाने हेतु उनको संस्कृति के उन रहस्यों को उनके सामने रखा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति संस्कृति के इन तत्वों को समझ जाता है वह व्यक्ति वेद, उपनिशद्, रामायण, गीता, महाभारत को अच्छे से समझ सकेगा। हमारे वेदों में सारे गूढ़ जीवन और विज्ञान के वो तत्व मौजूद है जिन्हें आज विज्ञान भी स्वीकार करता है। ब्रह्म, विष्णु और महेश इलेक्ट्रान, प्रोटोन और न्यूट्रोन यह तीनों त्रिमूर्ति विज्ञान की भाषा में है उनका व्यक्ति स्वरूप कोई है तो वह ब्रह्म, विष्णु और महेश है।
डाॅ. कुमावत ने कहा कि जन्म और मृत्यु भारतीय संस्कृति के हर अंग से जुड़े है। जन्म और मृत्यु का जो भाव भारतीय संस्कृति में है वह किसी भी अन्य संस्कृति में नहीं है। यथार्थ में न तो जन्म होता है न मृत्यु। जिसे हम जन्म कहते है उसका अर्थ है अज्ञात जगत से ज्ञात जगत में प्रवेश। मृत्यु का अर्थ है ज्ञात का पुनः अज्ञात में लीन हो जाना।
उन्होंने मान, अपमान विषय पर बोलते हुए कहा कि मान अपमान जीवन का हिस्सा है। जीवन को अनदेखे उपहारों, ज्ञान के छिपे खजाने, समझदारी, लचीलेपन, करुणा और अपनी विशिष्टताओं के साथ अधिक घनिष्ठता से भरना आपके भाग्य के लिए प्रकट होता है, आपकी असफलता के लिए नहीं। भरोसा करो यह अजीब है और चलते रहो। जिन आशीषों की आप अभी तक थाह नहीं पा सके हैं, वे आ रही हैं।

इस अवसर पर आलोक संस्थान की सभी शाखाओं आलोक स्कूल हिरण मगरी, आलोक स्कूल फतहपुरा, पंचवटी, आलोक स्कूल राजसमंद, आलोक स्कूल चित्तौड़गढ़ के अध्यापकों के लिये अलग-अलग समूूह में विभिन्न विशयों पर संवाद कर प्रस्तुतिकरण का आयोजन किया गया। विभिन्न विषयों अन्र्तमंथन जिसके अन्तर्गत परीक्षा परिणाम, अध्यापक शेली व उनके प्रति धारणा, अध्यापकों की प्रगति व विष्लेशण, बच्चों के प्रति व्यवहार विषय पर आयोजन किया गया।
आत्मावलोकन विषय के अन्तर्गत माता पिता की प्रतिक्रिया, अभिभावक मिलन, अभिभावक सम्पर्क पर आत्मवलोकन किया गया।
सम्बंध विषय पर शिक्षक विद्यार्थी संबंध, शिक्षक अभिभावक संबंध पर संवाद आयोजित किया गया। शोर्य/पराक्रम/ अनुशासन में शा शारीरिक शिक्षा की भूमिक, सह पाठयचर्या गतिविधि विशयों पर संवाद आयोजित किया गया।

इस अवसर पर आलोक स्कूल राजसमंद के प्रशासक मनोज कुमावत, आलोक स्कूल हिरण मगरी के प्राचार्य शशांक टांक, आलोक फतहपुरा के प्रशासक निश्चयकुमावत, एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर प्रतीक कुमावत, ध्रुव कुमावत, आलोक स्कूल फतहपुरा के प्राचार्य वीरेन्द्र पालीवाल, आलोक स्कूल राजसमन्द के प्राचार्य ललित गोस्वामी, आलोक स्कूल पंचवटी के प्रधानाध्यापक नारायण चौबीसा, एकेडमिक काउन्सलर निहारिका कुमावत, हितिशा कुमावत, आलोक स्कूल चित्तौड़गढ़ के सहायक प्रशासक अभिशेक शर्मा उपस्थित थे।

By Udaipurviews

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