भीलवाडा 30 दिसंबर। कृषि विज्ञान केन्द्र पर कृषि प्रौद्योगिकी प्रबन्ध अभिकरण (आत्मा) द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण मातृवृक्ष बगीचों का रेखांकन विषय पर आयोजित किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. सी.एम. यादव ने बताया कि फलदार बगीचे की स्थापना एवं प्रबंधन बहुत ही सावधानीपूर्वक एवं योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए। अधिकतम पैदावार और लाभ कमाने हेतु बगीचे के लिए उपयुक्त स्थान का चयन, सही रोपण प्रणाली, उचित रोपण दूरी, पौधों की नवीनतम किस्मों का चयन एवं उत्पाद का सही विपणन बहुत मायने रखता है।
कृषि महाविद्यालय भीलवाड़ा के पूर्व डीन डॉ. किशन लाल जीनगर ने फलदार पौधों में लगने वाले प्रमुख कीट एवं कीट प्रबन्धन की तकनीकी जानकारी साझा की।
कृषि महाविद्यालय की उद्यान वैज्ञानिक डॉ. सुचित्रा दाधीच ने बगीचे का रेखांकन, मुदा और उर्वरता, बडिंग एवं ग्राफ्टिंग, पौधों की रोपाई का समय, फलों की तुड़ाई एवं रख-रखाव, ग्रेडिंग एवं पैकिंग की तकनीकी जानकारी देते हुए पॉली हाऊस, लो टनल ग्रीन हाऊस, शेड नेट हाऊस एवं प्लास्टिक मल्चिंग की उपयोगिता बताई।
उपनिदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा डॉ. जी.एल. चावला ने विभाग की गतिविधियों की जानकारी देते हुए नवीनतम कृषि तकनीकों का समावेश करने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
सहायक कृषि अधिकारी श्री नन्दलाल सेन ने केन्द्र पर स्थापित मातृवृक्ष बगीचे का भ्रमण करवाते हुए प्रमुख फलदार पौधों की जानकारी से अवगत कराया।
वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता श्री प्रकाश कुमावत ने बताया कि प्रशिक्षण के अन्त में प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसे प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रशिक्षणार्थी को पुरस्कार प्रदान किए गए। प्रशिक्षण में 30 कृषकों की सहभागिता रही।