देबारी ग्रिड पर निर्भरता अब वागड़ की सबसे बड़ी बिजली समस्या, विधायक करें एकजुट प्रयास तो मिल सकती है स्थायी राहत
जुगल कलाल
डूंगरपुर, 30 मई. दक्षिण राजस्थान का वागड़ अंचल — जिसमें डूंगरपुर और बांसवाड़ा जैसे जिले शामिल हैं — आज भी बिजली संकट से जूझ रहा है। करीब 10 लाख से अधिक घरेलू और 1 लाख से ज्यादा औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ता अब तक केवल एक ही 440 केवी ग्रिड स्टेशन, देबारी (उदयपुर) पर निर्भर हैं। यह ग्रिड 1990 के दशक की जरूरतों के अनुसार बनाया गया था, लेकिन आज का लोड उसकी क्षमता से कई गुना अधिक है। नतीजा—बार-बार बिजली फॉल्ट, गर्मी में घंटों की कटौती, और औद्योगिक विकास में रुकावट।
440 केवी ग्रिड नहीं, तो विकास अधूरा : देबारी से निकलने वाली लाइन सलूंबर होते हुए डूंगरपुर, बांसवाड़ा और आसपुर के 220 केवी स्टेशन तक पहुंचती है। यह लाइन पिछले 35 वर्षों से बिना किसी बड़े तकनीकी अपग्रेड के चल रही है, और आज ओवरलोड के चलते आए दिन फॉल्ट का शिकार होती है। ओवरहिटिंग के कारण लाइन निष्क्रिय हो जाती है, जिससे तीनों जिलों की बिजली सप्लाई चरमरा जाती है।
उदयपुर ने दिखाई राह, वागड़ आज भी इंतजार में : जहां उदयपुर जिले में नाथद्वारा में नया 440 केवी ग्रिड स्टेशन निर्माणाधीन है और 2026 तक पूरा हो जाएगा, वहीं वागड़ क्षेत्र के लिए कोई योजना तक नहीं बनी है। इससे साफ है कि अगर देबारी में फॉल्ट हो गया, तो उदयपुर को नाथद्वारा से राहत मिल जाएगी—but वागड़? अंधेरे में ही रहेगा।
विधायक एकजुट हों, तो वागड़ को मिल सकती है रोशनी : अब वक्त है कि वागड़ के सभी विधायक राजनीतिक मतभेद भुलाकर इस मांग को एक सुर में उठाएं। मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के सामने इस मुद्दे को मजबूती से रखा जाए, ताकि वागड़ को भी वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति मिल सके। यदि आज पहल हो, तो अगले दो वर्षों में अपना 440 केवी ग्रिड स्टेशन मिल सकता है—जो आने वाले 10–15 वर्षों के लिए बिजली की स्थायी व्यवस्था करेगा।
अब नहीं जागे, तो हर साल अंधेरा तय : अगर अभी भी चुप्पी साधी रही, तो हर साल गर्मी और मानसून के मौसम में बिजली कटौती का दंश झेलना वागड़ की नियति बन जाएगी। औद्योगिक निवेशकों का रुख भी बदल जाएगा और क्षेत्र का आर्थिक विकास फिर पीछे छूट जाएगा।
वागड़ की जनता का सवाल—हमें कब मिलेगी रोशनी की गारंटी?
प्रदेश के तीन हिस्सों—बिजली उत्पादन, प्रसारण और वितरण—में बंटे सिस्टम में सबसे बड़ी जिम्मेदारी विद्युत प्रसारण निगम जयपुर की है। लेकिन वागड़ के किसी विधायक ने अब तक प्रसारण निगम पर दबाव नहीं बनाया, न ही विधानसभा में आवाज़ उठाई। यही कारण है कि 35 वर्षों बाद भी वागड़ को अपना 440 केवी ग्रिड स्टेशन नहीं मिला।