जीवन के सत्य को देखने के लिए भीतर की आंख चाहिए-   साध्वी डॉ संयमलता

उदयपुर। सेक्टर 4 श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म. सा.,डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में धर्म सभा को संबोधित करते हुए साध्वी संयमलता ने कहा कि आंख शरीर का दीपक है।आंख यदि स्थिर रहेगी तो आपका शरीर भी प्रकाश से जगमगाता रहेगा। यदि वह अस्थिर है, अगर आंख में कुछ बुराई है तो सारे शरीर में अंधकार का ही साम्राज्य छाया रहेगा। जीवन के सत्य को देखने के लिए भीतर की आंख चाहिए और यह भीतर की आंख बिना सद्गुरु की कृपा के नहीं खुलती। गुरु ही इस आंख का पर्दा उठाकर इसमें रोशनी भरता है और जब यह आंख खुल जाती है तभी जीवन में प्रकाश बरसता है और जिंदगी की असली मंजिल दिखाई पड़ती है।
साध्वी सौरभप्रज्ञा ने कहा कि लंबा धागा और लंबी जबान केवल समस्या ही पैदा करती है, इसलिए धागे को लपेटकर और  जबान को समेटकर ही रखना चाहिए।चातुर्मास संयोजक ललित लोढ़ा ने बताया की दूर दराज़ से दर्शनार्थियों का आवागमन निरंतर जारी है।

By Udaipurviews

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