भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 2006 में पकड़ा था 38 हजार रुपए की घूस लेते
उदयपुर। उदयपुर की एसीबी कोर्ट-1 ने 17 साल पुराने रिश्वत के मामले में बुधवार को द उदयपुर सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक लि. उदयपुर के तत्कालीन प्रबंध निदेशक को 4 साल की सजा सुनाई है। दोषी तत्कालीन प्रबंध निदेशक बजरंग लाल पुत्र लादूराम रेगर ने बिल पास करने की एवज में करीब 38 हजार रुपए की रिश्वत ली थी। न्यायाधीश मधुसूदन मिश्रा ने बजरंग लाल को विभिन्न धाराओं में 4-4 साल साधारण कारावास और 20-20 हजार रुपए जुर्माने की भी सजा सुनाई।
विशिष्ट लोक अभियोजक राजेश कुमार पारीख ने बताया कि परिवादी सावन दवे ने 20 अक्टूबर 2006 को एसीबी को शिकायत की थी कि उसकी और उसकी पत्नी के नाम की फर्म को संबंधित बैंक ने कम्प्यूटर कार्य के लिए अधिकृत किया था। उनकी कंपनी राजसमंद और उदयपुर जिले के गांवों में संचालित बैंक शाखा में कंप्यूटर से संबंधित काम करती थी। तत्कालीन प्रबंध निदेशक जनवरी 2006 से बिल पास करने एवज में रिश्वत के लिए दबाब बनाना शुरु कर दिया और उसकी 8 शाखाओं के बदले 24 हजार रुपए और पत्नी की 7 शाखाओं के 2 माह के 14 हजार रुपए रिश्वत की मांग की। शिकायत के बाद एसीबी ने आरोपी प्रबंध निदेशक को 38 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया था। जांच के बाद एसीबी कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया था। सुनवाई पूरी होने के बार बुधवार को न्यायालय ने अभियुक्त बजरंगलाल झारोटिया निवासी बघेरा अजमेर को अलग- अलग धाराओं में 4-4 साल की सजा व 20-20 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
उदयपुर सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के तत्कालीन प्रबंध निदेशक को 17 साल पहले ली रिश्वत मामले में 4 साल की सजा
