उदयपुर। वात्सल्य वारिधी आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने 26 जून को सर्व ऋतु विलास श्री महावीर स्वामी जैन मंदिर में धर्म सभा को संबोधित कर उपदेश दिया कि चावल का क्या महत्व होता है। इसे सरल भाषा में समझाया सर्वप्रथम चावल ही क्यों चढ़ाया जाता है। इसकी विवेचना सरल शब्दों में कर आचार्य श्री ने बताया कि चावल अखंड होता है, धवल होता है ,अक्षय होता है,मंगलकारी है ,इसलिए मंदिर में चावल चढ़ाए जाते हैं। भारत देश में चावल के अलग अलग नाम हो सकते हैं।मंदिर में मुट्ठी भर कर भगवान को चावल चढ़ाने से पर्वताकार चावल का पुंज सकारात्मक ऊर्जा देता है।अखंड चावल अर्पित करने से अखंड सुख मिलता है,धवल सफेद सामग्री से परिणाम में विशुद्धता आती है।
आचार्य शिरोमणी पंचम पट्टाधीश वात्सल्य वारिघि ने 32 साधुओं सहित आज सर्व ऋतु विलास प्रवेश किया। चातुर्मास की मंगल कलश स्थापना बीसा हूमड़ भवन में होगी। सभागार में आचार्य श्री के प्रवचन के पूर्व अतिथियों एवम् पदाधिकारियों ने पूर्वाचार्यों के चित्र समक्ष दीप प्रवज्जलन किया।पुण्यार्जक परिवार द्वारा आचार्य श्री को शास्त्र भेंट किया
परंपरा के सभी आचार्यों द्वारा उदयपुर में चातुर्मास विगत वर्षो में किया गया है। आचार्य श्री शांति सागर जी ने सन 1934 में, आचार्य श्री वीर सागर जी ने सन 1934 मुनि अवस्था में, आचार्य श्री शिव सागर जी ने सन 1967 में, आचार्य श्री धर्म सागर जी ने सन 1978 में, आचार्य श्री अजीत सागर जी ने सन 1987 में किया।
वात्सल्य वारिघि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने भी उदयपुर में वर्ष 2002 में चातुर्मास किया।
सकल दिगम्बर जैन समाज के शांतिलाल वेलावत ,सुरेश पद्मावत पारस चितोड़ा अनुसार पंचम पट्टाधीश आचार्य श्री वर्धमान सागर जी के उदयपुर चातुर्मास घोषणा से संपूर्ण मेवाड़ बागड़ में जैन समाज में हर्ष व्याप्त है ।