सूत्रधार कार्यशाला में भाग लेने वाले युवा अभिभूत

उदयपुर. बागोर की हवेली में चल रहे सात दिवसीय सूत्रधार कार्यशाला में गुरूवार को युवा संभागियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
केन्द्र की निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य- मंच संचालन में रूचि रखने वाली युवा प्रतिभाओं को तराशना और मंच संचालन के गुणीजनों द्वारा इस कला के  विविध पक्षों का व्यावहारिक ज्ञान देना है ताकि उत्तम और संजीदा उद्घोषकों की नई पीढी तैयार हो सके।
आकाशवाणी उदयपुर के कार्यक्रम प्रमुख और अन्तराष्ट्रीय प्रसारक श्री महेन्द्र सिंह लालस ने भाषाई शुद्धता कितनी जरुरी विषय पर अपना ज्ञान और अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि शुद्ध वही हैै जो लिखा गया है लेकिन कई बार बोलने में आंचलिकता का प्रभाव पड़ता है इसलिए वक्ता अशुद्धियां करते हैं।
उन्होंने कई उदाहरण देते हुए बताया कि बोलने वाले शब्दों की सफाई और सच्चाई का ध्यान रखना चाहिए। संभागियों से उन्होंने कुछ शब्दों के सही उच्चारण करवा कर नुक्ता लगाने और मात्राओं के साथ बोलने की तकनीक साझा की। जयपुर से आये रंग निर्देशक श्री राजीव आचार्य ने अपने साथ लायी वीडियों क्लिपिंग्स दिखाते हुए स्क्रिप्ट के लेखन और उद्घोषणा के उतार-चढ़ाव के महत्व को बताया। लोक कलाओं के प्रस्तुतीकरण में होने वाली चुनौतियों के बारे में आगाह किया।
शुक्रवार को प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. मंजू चतुर्वेदी भाषा और उच्चारण पर असूत्रधार कार्यशाला में भाग लेने वाले युवा अभिभूत
उदयपुर. बागोर की हवेली में चल रहे सात दिवसीय सूत्रधार कार्यशाला में गुरूवार को युवा संभागियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
केन्द्र की निदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य- मंच संचालन में रूचि रखने वाली युवा प्रतिभाओं को तराशना और मंच संचालन के गुणीजनों द्वारा इस कला के  विविध पक्षों का व्यावहारिक ज्ञान देना है ताकि उत्तम और संजीदा उद्घोषकों की नई पीढी तैयार हो सके।
आकाशवाणी उदयपुर के कार्यक्रम प्रमुख और अन्तराष्ट्रीय प्रसारक श्री महेन्द्र सिंह लालस ने भाषाई शुद्धता कितनी जरुरी विषय पर अपना ज्ञान और अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि शुद्ध वही हैै जो लिखा गया है लेकिन कई बार बोलने में आंचलिकता का प्रभाव पड़ता है इसलिए वक्ता अशुद्धियां करते हैं।
उन्होंने कई उदाहरण देते हुए बताया कि बोलने वाले शब्दों की सफाई और सच्चाई का ध्यान रखना चाहिए। संभागियों से उन्होंने कुछ शब्दों के सही उच्चारण करवा कर नुक्ता लगाने और मात्राओं के साथ बोलने की तकनीक साझा की। जयपुर से आये रंग निर्देशक श्री राजीव आचार्य ने अपने साथ लायी वीडियों क्लिपिंग्स दिखाते हुए स्क्रिप्ट के लेखन और उद्घोषणा के उतार-चढ़ाव के महत्व को बताया। लोक कलाओं के प्रस्तुतीकरण में होने वाली चुनौतियों के बारे में आगाह किया।
शुक्रवार को प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो. मंजू चतुर्वेदी भाषा और उच्चारण पर अपना व्याख्यान देगी और वरिष्ठ रंगकर्मी एवं संगीतकार श्री दीपक जोशी अपने सत्र में संगीत का ज्ञान मंच संचालन के लिए कितना जरूरी’ पर अपना व्यावहारिक अनुभव साझा करेंगे। अपना व्याख्यान देगी और वरिष्ठ रंगकर्मी एवं संगीतकार श्री दीपक जोशी अपने सत्र में संगीत का ज्ञान मंच संचालन के लिए कितना जरूरी’ पर अपना व्यावहारिक अनुभव साझा करेंगे।
By Udaipurviews

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