उदयपुर स्थित विद्या भवन सभागार में
सुस्थिरता, पर्यावरण, शिक्षा तथा विकास पर आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन सीड 2025 सोमवार को संपन्न हुआ।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए भारत सरकार के शिक्षा सचिव संजय कुमार ने प्रेरक उद्बोधन प्रदान किया।
संजय कुमार ने न संजय शर्मा, सचिव, कहा कि वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता मूल्य आधारित, कौशलोन्मुख और पर्यावरण-संवेदनशील शिक्षा हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि जिम्मेदार और संवेदनशील नागरिक तैयार करने का माध्यम है।
उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन परंपरा में पर्यावरणीय संतुलन और संपूर्ण सृष्टि के प्रति आदर की भावना निहित है। नई शिक्षा नीति (NEP 2020) की उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा मे होना चाहिए।उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थियों को केवल डिग्रियाँ प्राप्त करने की नहीं वरन सोचने, सृजन करने और समाज के लिए योगदान देने की क्षमता दी जानी चाहिए। शिक्षा ही सतत विकास की सबसे सशक्त नींव है।
मुख्य अतिथि राजस्थान के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य सचिव कुलदीप रांका ने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य और पंचतत्व संतुलन की भारतीय अवधारणा को केंद्र में रखते हुए कहा कि मानव ने विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति के संतुलन को भंग किया है। उन्होंने कहा कि अब समय है जब हम पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलित संवाद स्थापित करें। उन्होंने कहा कि
जैविक खेती, हरित ऊर्जा, और पर्यावरण संरक्षण को विकास का मूल आधार बनाना होगा। रांका ने यह भी कहा कि शिक्षा और पर्यावरण दोनों को एक साथ जोड़कर ही सच्चा और स्थायी विकास संभव है। विशिष्ट अतिथि संभागीय आयुक्त प्रज्ञा केवलरमानी ने कहा कि पृथ्वी हमारी माता हैं । हमे सेवा भाव से समस्त पंचतत्वों का संरक्षण करना चाहिए।
पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की ई ए सी कमिटी के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह मथारू ने भी विचार रखे। प्रसिद्ध उद्योगपति अरविंद सिंघल भी उपस्थित रहे।
स्वागत उद्बोधन विद्या भवन के अध्यक्ष डॉ जे के तायलिया ने दिया। धन्यवाद मुख्य संचालक राजेंद्र भट्ट ने दिया।
सम्मेलन के शिक्षा व पर्यावरण विषयक सत्र में आई आई एम के पूर्व निदेशक जनत शाह , पूर्व कुलपति एवं राज्यपाल के सलाहकार प्रो के सी सोडाणी, सिंघानिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पृथ्वी यादव , प्रसिद्ध समाजशास्त्री डॉ रमेश अरोड़ा , सेंटल इंस्टीट्यूट ऑफ वोकेशनल एजुकेशन के संयुक्त निदेशक डॉ दीपक पालीवाल ने विचार रखे।
जलवायु परिवर्तन एवं सुस्थिर विकास पर आयोजित सत्र में पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार की एनवायरमेंटल अपराईजल कमिटी के अध्यक्ष आइपीएस मथारू, राजस्थान के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ वेंकटेश शर्मा, भारत के पूर्व जल कमिश्नर महेंद्र मेहता, आई आई टी मुंबई के प्रो कपिल गुप्ता, इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट की सीनियर फैलो डॉ अनुराधा सेन मुकर्जी ने विचार रखें
पर्यावरण के संदर्भ में स्वास्थ्य, आनंद एवं सौहार्द पर आयोजित तीसरे सत्र में राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एस एस सारंगदेवोत, प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रो राजीव गुप्ता, डेनमार्क की वॉटर डिप्लोमेट डॉ अनीता के शर्मा , नाना पाटेकर द्वारा स्थापित नाम फाउंडेशन के सीईओ गणेश थोराट ने अपने विचार रखे। ।
