मेगा सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘वितस्ता’ का समापन

संस्कृति ही देश को पिरोती है एकता के सूत्र में : पुरोहित
उदयपुर, 28 जून।पंजाब के राज्यपाल, चंडीगढ़ के प्रशासक और नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर, पटियाला के चेयरमैन बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम उस कालखंड में जी रहे हैं, जिसमें आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। ऐसे गौरवशाली समय में धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर में देश की विभिन्न संस्कृतियों का मिलन हो रहा है। उन्होंने कहा कितनी सुंदर बात है कि हमारे देश में संस्कृति के विभिन्न रंग हैं, जैसे उद्यान में अलग-अलग तरह के फूल होते हैं। ‘वितस्ता’ जैसे महोत्सव इन फूलों को एक माला में पिरोते हैं। मैं इस भव्य और लोक संस्कृति से ओत-प्रोत कार्यक्रम के आयोजन पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय को बधाई देता हूं। खासकर, हमारे नॉर्थ जोन सांस्कृतिक केंद्र के कर्मठ डायरेक्टर फुरकान खान को इस शानदार आयोजन के लिए बधाई देता हूं।
पुरोहित  आजादी का अमृत महोत्सव के तहत  केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर, पटियाला के संयुक्त तत्वावधान में 23 जून से श्रीनगर के शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में आयोजित सांस्कृतिक उत्सव ‘वितस्ता’ के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
पुरोहित ने कहा कि वास्तव में संस्कृति ही ऐसा माध्यम है जो देश को एकता के सूत्र में पिरोती है। देश की अनूठी सांस्कृतिक पहचान को उकेरने वाले ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन का वक्त अमृतकाल से बेहतर हो ही नहीं सकता और ऐसे आयोजनों के लिए अपने गौरवाशाली इतिहास को समेटे कश्मीर की मनोरम डल झील से शानदार स्थल हो ही नहीं सकता। ये वही वादियां हैं जहां महान सूफी संतों और ऋषि मुनियों ने तपस्या की और जहां एक ओर संपूर्ण विश्व के लिए वंदनीय हजरत बल दरगाह है तो वहीं अमरनाथ की पवित्र गुफा भी है। यहां विरासत के रूप में बौद्ध मत से जुड़े कई पुरातात्विक स्थल हैं, वहीं कश्मीर की लाइफ लाइन मानी जाने वाली पवित्र नदी झेलम है,  जिसका वैदिक नाम ‘वितस्ता’ है।
उन्होंने कहा, “मुझे क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के चेयरमैन होने के नाते गर्व है कि ऐसे शानदार आयोजन के लिए उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र को दायित्व सौंपा गया। मैं केंद्र के निदेशक फुरकान खान और उनकी पूरी टीम को भी इस सफल आयोजन के लिए बधाई देता हूं। एक बार पुनः भारत सरकार तथा विशेषकर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और उसके अधिकारियों का आभार, जिन्होंने यह अवसर प्रदान किया। नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर, पटियाला के चेयरमैन के नाते मैं इस भव्य सांस्कृतिक आयोजन में सहयोग के लिए जम्मू-कश्मीर गवर्नमेंट और स्थानीय प्रशासन का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।

वितस्ता एक अनूठा आयोजन : आरएन रवि
इस अवसर पर गेस्ट ऑफ ऑनर तमिलनाडु के गवर्नर आरएन रवि ने कहा कि वितस्ता ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में एक अनूठा आयोजन है। मुझे इस बात का अपार हर्ष है कि इसके पहले एडिशन का जब तमिलनाडु में आयोजन हुआ, तब भी मैं उसमें शामिल हुआ और आज यहां श्रीनगर में इसके समापन में भी मैं मौजूद हूं। उन्होंने कहा कि कश्मीर इतना बड़ा अध्यात्म का केंद्र है। यहां तक कि मिलेंडर जैसा आक्रमणकारी भी यहां के अध्यात्म से प्रभावित होकर मिलिंद बन गया। उन्होंने कहा कि अब नए भारत का उद्भव हो रहा है, इसमें हमारी संस्कृति का बड़ा योगदान है। उन्होंने ऐलान किया कि जब भी तमिलनाडु में ऐसा सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित होगा, मैं जम्मू कश्मीर के कलाकारों को वहां जरूर बुलाऊंगा। समारोह की शुरुआत में अतिथियों का कश्मीर के वुनवान गीत से स्वागत किया गया। मुख्य अतिथि श्री पंजाब के गवर्नर बीएल पुरोहित और तमिलनाडु के राज्यपाल गेस्ट ऑफ ऑनर श्री आरएन रवि का संस्कृति मंत्रालय की जॉइंट सेक्रेटरी उमा नंदूरी ने शॉल ओढ़ा स्मृति चिह्न भेंट किया। भारतीय साहित्य अकादमी के सचिव श्रीनिवास राव ने दोनों राज्यपालों को अकादमी की पुस्तक भेंट की। इसके साथ ही श्रीमती उमा नंदूरी ने स्वागत भाषण देते हुए ‘वितस्ता’ के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। वहीं, जम्मू कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी अरुण कुमार मेहता ने कश्मीर और कश्मीरीयत की तारीफ के  साथ इस आयोजन की प्रशंसा की। कार्यक्रम के नॉलेज पार्टनर सिद्धार्थ काक ने ‘वितस्ता’ के संबंध में ऐतिहासिक जानकारी दी। इस मेगा आयोजन की सफलता के लिए जम्मू कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी अरुण कुमार मेहता, जम्मू कश्मीर के पर्यटन और सांस्कृतिक सचिव आबिद राशिद, एसकेआईसीसी के निदेशक जावेद बख्शी, नॉलेज पार्टनर सिद्धार्थ काक, साहित्य अकादमी के सचिव के.श्रीनिवास राव, जम्मू कश्मीर की आर्ट, कल्चर और भाषा अकादमी के  सचिव भरत सिंह मन्हास तथा नॉर्थ जोन कल्चरल सेंटर के निदेशक फुरकान खान को दोनों राज्यपालों ने स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। समारोह के अंत में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के डायरेक्टर फुरकान खान ने मुख्य अतिथि, गेस्ट ऑफ ऑनर के साथ ही ‘वितस्ता‘ के सफल आयोजन में सहयोग देने वाले तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया।
कश्मीर में फिल्माए गानों की पेशकश ने बांधा समां-
कश्मीर की वादियों और खूबसूरत पर्यटन स्थलों पर फिल्माए गए बॉलीवुड के गानों, चाहे कोई मुझे जंगली कहे…, कोरा कागज था ये मन मेरा…जय-जय शिव शंकर कांटा लगे न कंकर… जैसे फिल्मी गानों को बॉलीवुड ऑर्केस्ट्रा ग्रुप ने जब पेश किया तो तमाम शामयीन झूम उठे। इनके साथ ही बेखुदी में सनम.., अजी  रूठकर अब कहां जाइएगा… ये चांद सा रोशन चेहरा… बुम्बरो-बुम्बरो, श्याम रंग बुम्बरो… की तो धुन बजते ही हाज़रीन झूम उठे और साथ गाने लगे। वहीं, ये हसीं वादियां, ये खुला आसमां… ने भी खूब वाहवाही लूटी। जब दीवाना हुआ बादल… और मेरे यार शबा खैर… पर भी श्रोताओं ने खूब तालियां बजाई। सभी सिंगर्स और मौसिकी ने सभी का मन मोह लिया। आलम यह था कि मधुर धुनों और बेहतरीन गायिकी से ऐसा लगा मानो ऑरिजनल सॉन्ग सुन रहे हैं। कई श्रोता अपनी और गानों का लुत्फ लिया।
बता दें, आराधना, कश्मीर की कली, जानवर, जब-जब फूल खिले, कभी-कभी, कन्यादान, हसीना मान जाएगी, फिर वही दिल लाया हूं, मेरे सनम और आंधी जैसी फिल्मों के हिट गीत कश्मीर की वादियों में फिल्माए गए हैं। इसके साथ ही उत्साद शफी सोपोरी की कश्मीरी कव्वालियों ने हाज़रीन का दिल जीत लिया। मेगा  आयोजन के इस आखिरी कार्यक्रम में सौरभ जादू एंड ग्रुप की सिंगिंग और संतूर, रबाब और गिटार की तिगुलबंदी की धुनों ने सभी कलाप्रेमियों के मन को झंकृत कर दिया।

By Udaipurviews

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