राष्ट्रीय स्थिरता के लिए सभी वर्गों-धर्मों को साथ लेकर चलना जरूरी – पद्म विभूषण डॉ. कर्ण सिंह

-राजस्थान विद्यापीठ में जम्मू-कश्मीर रियासत के पूर्व महाराजा पद्म विभूषण डॉ. कर्ण सिंह ने किया राधाकृष्णन भवन का लोकार्पण।
राजस्थान विद्यापीठ का प्रथम कुलाधिपति होना मेरे लिए गौरव की बात – डॉ. कर्ण सिंह। 
उदयपुर, 26 मार्च। जम्मू-कश्मीर रियासत के पूर्व महाराजा पद्म विभूषण डॉ. कर्ण सिंह ने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो केवल बौद्धिक एवं शारीरिक विकास तक सीमित न रहे, बल्कि आंतरिक शक्तियों को भी सशक्त बनाए। हमें ऐसी प्रणाली अपनानी होगी जो बालकों में सामाजिक सेवा और राष्ट्रनिर्माण की भावना को प्रोत्साहित करे।
वे बुधवार को यहां जनार्दन राय नागर  राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड-टू-बी विश्वविद्यालय) उदयपुर के डबोक परिसर में स्थित सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन भवन के जीर्णोद्धार के बाद लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। भवन का लोकार्पण करने के बाद पद्म विभूषण डॉ. कर्णसिंह ने वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि देश की वैचारिक, आर्थिक एवं सामाजिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए सभी वर्गों और धर्मों को साथ लेकर चलना आवश्यक है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ के कुलाधिपति भंवरलाल गुर्जर ने विद्यापीठ द्वारा सामाजिक सरोकारों से जुड़ी गतिविधियों का उल्लेख करते हुए बताया कि विद्यापीठ ग्रामीण क्षेत्रों के विकास एवं शिक्षा विस्तार में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने डॉ. कर्णसिंह के पूर्व में ग्रामीण जीवन के अवलोकन एवं दिशा-निर्देशन से जुड़े संस्मरण साझा किए।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने राजस्थान विद्यापीठ की सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों के संवर्धन में अग्रणी भूमिका को चिह्नित करते हुए कहा कि इस भवन के नवनिर्माण से विद्यार्थियों को आधुनिक सुविधाएं प्राप्त होंगी। उन्होंने डॉ. कर्ण सिंह के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व और कृतित्व एक विकसित राष्ट्र की संकल्पना की आधारशिला है। उनके आदर्शों को अपनाकर हम अपने राष्ट्र को महान और विकसित बना सकते हैं। प्रो. सारंगदेवोत ने संस्कृत, लोकजीवन, कूटनीति, पर्यावरण तथा राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में डॉ. कर्णसिंह के योगदान को सराहा। साथ ही, अंतर्धार्मिक सद्भावना और आध्यात्मिक दर्शन में उनके दृष्टिकोण को भी महत्वपूर्ण बताया।
कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने डबोक प्रवास के दौरान यहां भजन संध्या में भाग लिया था और ग्रामीणों के साथ समय व्यतीत किया था। उन्हीं स्मृतियों को स्थायी बनाने के लिए इस हॉल का जीर्णोद्धार कर इसे उनके नाम समर्पित किया गया है।
लोकार्पण पट्टिका का अनावरण जम्मू कश्मीर के पूर्व महाराजा डॉ. कर्ण सिंह, कुलपति प्रो.एसएस. सारंगदेवोत, कुलाधिपति बी.एल. गुर्जर, पीठ स्थविर कौशल नागदा, विद्या प्रचारिणी सभा बीएन संस्थान के मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह आगरिया, एमडी डॉ. मोहम्मद सिंह द्वारा किया गया।
 इस अवसर पर विद्यापीठ के अनेक अधिकारी, विद्वान एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर मुख्य रूप से वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार, रजिस्ट्रार डॉ. तरुण श्रीमाली, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो परमानंद भारद्वाज, प्रो. कला मुनेत, डॉ. हेमेंद्र चौधरी, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, प्रो इंद्रजीत माथुर, डॉ जीके माथुर, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, डॉ. पंकज रावल, डॉ. रचना राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, डॉ.अमी राठौड़, डॉ. अपर्णा श्रीवास्त, डॉ. संतोष, डॉ. सत्यभूषण नागर, डॉ. सपना श्रीमाली, डॉ.निवेदिता,  सहित विश्वविद्यालय के सभी विभागों के निदेशक, कार्यकर्ता एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीश चौबीसा ने किया।
    इतिहास से प्रेरणा लेने का संदेश 
लोकार्पण के दौरान राधाकृष्णन हॉल का विशेष अवलोकन किया गया। इस हॉल में मेवाड़ के आराध्य भगवान एकलिंगनाथ, महाराणा प्रताप, स्वामी विवेकानंद, विद्यापीठ के संस्थापक पंडित जनार्दनराय नागर सहित भारत के सभी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष एवं मेवाड़ के पूर्व महाराणाओं की आदमकद तस्वीरें स्थापित की गई हैं। इसके अलावा, विद्यापीठ के सभी कुलाधिपतियों कुलपतियों एवं कुल प्रमुखों की तस्वीरें भी प्रदर्शित की गई हैं। यह हॉल विद्यार्थियों एवं आगंतुकों को विद्यापीठ के गौरवशाली इतिहास और उसकी मूल भावना से परिचित कराएगा।
By Udaipurviews

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