उदयपुर। डॉ. राव ने बिहार विश्वविधालय सेवा आयोग द्वारा जारी असिस्टेंट प्रोफेसर कि चयन सूचि में UR केटेगरी में पुरे बिहार में 4th स्थान प्राप्त किया एवं देश के सबसे पुराने विश्वविधालयों में से एक पटना विश्वविधालय में कार्य ग्रहण किया , यह एक छोटे से गांव से निकल कर अनेक संघर्षो को पार कर इस स्थान पर पहुंच कर न केवल अपने गांव का बल्कि पुरे डूंगरपुर का नाम रोशन किया I पटना विश्वविद्यालय भारतीय उपमहाद्वीप का सातवां सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। डॉ. राव अपनी इस सफलता का पूर्ण श्रेय अपने माता पिता एवं अपनी धर्म पत्नी को देते हैं जिन्होंने हमेसा उनको साहस प्रदान किया।
डॉ. राव डूंगरपुर जिले के आसपुर तहसील के भटवाड़ा गांव के रहने वाले हैं , इन्होने अपनी प्रथमिक शिक्षा गांव के ही राजकीय विधालय में पूर्ण की तथा 10 वी कक्षा तक पढाई निकट के गांव बड़ोदा के राजकीय माध्यमिक विधालय से पूर्ण की I इन्होने 11-12 वी की पढाई भी राजकीय गुरु गोविन्द सिंह स्कूल उदयपुर से की।
इन्होने बीएससी , एमएससी एवं पीएचडी का अध्ययन MLSU उदयपुर से किया I वर्ष 2014 में पीएचडी के पश्चात इन्होने CSIR नई दिल्ली के पोस्टडॉक्ट्रल रिसर्च प्रोजेक्ट में 2015 -2018 तक अंतर्गत, तथा 2018 -2021 तक देश के प्रतिष्ठित UGC के DS कोठरी पोस्टडॉक्ट्रल स्कीम में बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी वाराणसी में काम किया I वर्ष 2021 -2024 तक इन्होने CSIR पूल वैज्ञानिक के रूप में देश की प्रतिष्ठित PRL अहमदाबाद कि उदयपुर सौर वेधशाला में काम किया।
डॉ. राव का रिसर्च आयनमंडल एवं इस पर अंतरिक्ष मौसम के प्रभाव का अध्ययन पर केंद्रित हैं I इन्होने अभी तक अंतरष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित जॉर्नलो जैसे स्प्रिंगर(Springer ), एल्सेवियर (Elsevier ), अमेरिकन जिओफिजिकल यूनियन, एवं IEEE में कुल 25 शोध पत्र, एवं चार पुस्तक अध्याय का प्रकाशन किया I इन्होने विभिन राष्ट्रीय एवं अंतरष्ट्रीय वैज्ञानिक गोष्ठियों में २० से अधिक शोध पत्रों कि प्रस्तुति दी हे I इन्होने इस दौरान नेशनल सेंट्रल यूनिवर्सिटी ताइवान एवं नासा बोल्डर, अमेरिका स्थित नासा (NASA) कि यात्रा भी करी।
डॉ राव ने कहा की उनका बचपन से पूर्ण समर्पण था कि वह प्रोफेसर के पद को प्राप्त करे I इस शेक्षिणक यात्रा में अनेक संघर्षो को सामना करना पड़ा I इन्होने इस पद पर पहुंचने के दौरान अनेक बार असफलताओ का सामना किया लेकिन फिर भी इन्होने कभी आत्मविश्वाश को नहीं खोया एवं इनकी दृढ़ता, परिश्रम और समर्पण ने अंततः इनको इस स्थन पर पंहुचा दिया ।