कलश यात्रा के साथ भागवत कथा का शुभारंभ l

उदयपुर l गौतम ऋषि भवन, सेक्टर 4 में “श्री मद भागवत” कथा के उपलक्ष्य में मंगलेश्वर महादेव मंदिर सेक्टर 4 से कलश यात्रा का शुभारंभ हुआ l सबसे पहले मेवाड़ महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी हितेश्वरानंद सरस्वती एवं कथा व्यास पुष्कर दास महाराज के पावन सानिध्य में पोथी पूजन किया गया l मुख्य अतिथि महामहिम श्री गुलाब चंद कटारिया ने भागवत की पोथी को अपने सिर पर धारण किया l मुख्य यजमान नीलकंठ गुर्जर गौड़ ने परिवार के साथ कलश यात्रा का शुभारंभ किया l सभी व्यापारी लोगों ने जगह जगह पुष्प वर्षा करते हुए यात्रा का आदर पूर्वक सम्मान किया l महिलाओं ने अपने सिर पर कलश लेकर यात्रा में बढ़ चढ़ कर भाग लिया l सभी महिलाएं भजनों पर झूमते हुए नृत्य करती हुई पूरे मार्ग में यात्रा में सम्मिलित हुई l भागवत कथा के प्रथम दिन पुष्कर दास महाराज महाराज ने कहा कथा में संतों के पधारने से कथा की शोभा बढ़ती है l संसारी लोग कथा ध्यान से सुने या ना सुने पर संत चकोर की तरह ध्यान से कथा सुनते हैं l भागवत का मतलब यही हे जिसकी रुचि भगवान में लग जाए l भागवत शब्द की व्याख्या करते हुए कहा भ का मतलब भक्ति, ग का ज्ञान, व का वैराग्य,और त का त्याग l आगे भागवत में सोनक जी ने सूत जी महाराज से कहते हे ऐसी कथा सुनाओ जो कानों को प्रिय लगे l और कथा सुनने से मेरे मन में बदलाव हो l कथा के सार की जरूरत है l आगे प्रथम अध्याय की कथा में आत्मदेव की कथा आती हे l आत्मदेव के बालक नहीं होने के कारण वह परेशान होते हे और संत उनके घर आते हे l और प्रसाद देते हे l पत्नी धुंधुली गर्भ का दुख नहीं भोगना चाहती ओर प्रसाद का सेवन नहीं करती हे  प्रसाद गाय को खिला देती हे l इधर उसकी बहन गरीब होती हे ओर धुंधुली बहन को धन देती ओर अपनी बहन का बेटा अपने घर ले आती हे l इधर गाय के बच्चा होता हे शरीर इंसान के जैसा ओर कान गाय की तरह जिसका नाम गोकर्ण रखा l गोकर्ण संत की प्रसादी था वह तो पूजा,संध्या आदि करता बहन का बेटा धुंधूकारी बड़ा उद्यमी स्वभाव का होता हे l बड़ों की बात,संतों की बात ओर आंवले का स्वाद बाद में पता चला है l आत्मदेव को एक बेटा सुख दे रहा हे एक बेटा दुख l महाराज ने कहा बच्चों के ऊपर मां का स्वभाव कैसा होता है वही असर करता हे l धुंधूकारी बुरे कार्य करने लगा l एक दिन पांच स्त्रियों में फंस गया l पांच स्त्रियां शब्द,स्पर्श,रूप,रस और गंध l धुंधूकारी की अकाल मौत होने के कारण वह प्रेत बनकर भटकता हे उसकी आत्मा बांस में बैठी थी और सात गांठ से बंधा हुआ था भागवत कथा सुनने से उसका उद्धार हुआ l कथा प्रतिदिन सांय 4 से 7 बजे तक चल रही हैं l

By Udaipurviews

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