उदयपुर 11 सितम्बर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के यूजीसी सेंटर फॉर विमेन स्टडीज तथा मौलिक संस्था के तत्वावधान में मोहन राकेश द्वारा लिखित नाटक लहरों के राजहंस का मंचन रविवार शाम को देवाली स्थित विद्या भवन ऑडिटोरियम में किया गया। भगवान बुद्ध, उनके भाई नंद पर आधारित नाटक की सशक्त कथावस्तु और कलाकारों के भावपूर्ण अभिनय ने कलाप्रेमियों को मुग्ध सा कर दिया।
प्रारंभ में लोक कला मंडल के निदेशक लईक हुसैन, सुविवि की कुलपति प्रो सुनीता मिश्रा और जनार्दन राय नागर के कुलपति प्रो शिव सिंह सरंगदेवोत, दलपत सिंह राठौड ने नाट्य मंचन का शुभारंभ किया। शिवराज सोनकर और डॉ गरिमा मिश्रा ने अतिथियों और कलाप्रेमियों का स्वागत करते हुए नाटक के लेखक, विशय वस्तु, निर्देशन के बारे में जानकारी दी।
जतिन भारवानी निर्देशित इस नाटक में एक कठिन चुनाव है। चुनाव है संसारी तत्वों को त्याग अपने भाई भगवान बुद्ध की शरण में जाने का या जो उनका बल व विश्वास रहा है अपनी रूपवती स्त्री सुंदरी के साथ का। जो नंद के केश न दिखने और उसके दीक्षित होने के विचार से खंडित है। नाटक में केश बस एक निमित्त बनते हैं जिसे देख सुंदरी की प्रतिक्रिया नंद को ऐसी जान पड़ती है कि केवल केश ही उसका आकर्शण थे। उन्हीं केशों से उसके पास सुंदरी का विश्वास था, सामर्थ्य था। सुंदरी जो अब तक यशोधरा को बुद्ध बनने की दोशी ठहराती रही और बुद्ध के मार्ग व निर्वाण को नकारती रही अपने आकर्शण की उस मात से खंडित है कि कैसे उसका रूप उसका चित्त नंद को रोक नहीं सका। नाटक का अंत एक रहस्यमयी तरीके से हुआ जहां द्वंद्व के मारे नंद अपना उत्तर नहीं खोज पा रहे हैं। वहीं रूपगर्विता सुंदरी अपने आकर्शण की हार को स्वीकार नहीं कर पाती। श्यामांग व अलका के पात्रों ने नाटक को आत्मिक अर्थ प्रदान किए। इस भावपूर्ण प्रस्तुति को कलाकारों ने अपनी कुशलता से प्रस्तुत कर सराहना हासिल की। कलाकारों की भूमिका में अंजना आहलुवालिया, जतिन भारवानी, जयेश सिंधी, सुधांशु आढ़ा, इशिका अग्रवाल, रिदम कुलश्रेश्ठ, हिनल भगोरा, निधि जैन, गंगोत्री जैन, खुशी चरनावत, नवीन कुमार चौबीसा, दिशांत पटेल, रोहित सिंह रहे। प्रकाश व संगीत में क्रमशः भुवन शर्मा, भवानी शंकर कुमावत रहे। मंच संचालन ओम पाल ने संभाला। नाटक में सुविवि के महर्शि दयानंद सरस्वती कन्या छात्रावास की छात्राओं ने पूरे कार्यक्रम के प्रबंधन कार्य को बखूबी सम्भाला।
लहरों के राजहंस नाटक का मोहक मंचन, कलाप्रेमी हुए मुग्ध
