उदयपुर। पढ़ा-लिखा या अनपढ़ व्यक्ति हर कोई अपनी शादी को धूम धड़ाके,बैण्ड बाजे के साथ, शाही खाना करता है लेकिन यदि आपको यह बतायें कि इस जमानें में पढ़े लिखे और यहां तक की चिकित्सक दुल्हा-दुल्हन शादी के शोर-शराबो,ध्ूम धड़ाकों से दूर रह कर जैन धर्म की संस्कार विधि का अनुसरण करते हुए साधु-सन्तां का आशीर्वाद ले कर चक्रवर्ती विवाह कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करेंगे तो यह हम सभी के लिये आश्चर्य होगा। यह विवाह इस महंगाई एवं दिखावें के जमानें में दूसरों के लिये प्रेरणा देगा।
डॉ. कविता बड़जात्या व अनिल बड़जात्या के पुत्र डॉ. प्रशान्त बड़जात्या व पुत्रवधु बनने वाली डॉ. गुन्जन आगामी 2 नवम्बर को बलीचा स्थित ध्यानोदय तीर्थ क्षेत्र में चक्रवर्ती विवाह करेंगे। इस विवाह में दुल्हा-दुल्हन ढोल के साथ ध्यानोदय क्षेत्र में प्रवेश करेंगे। ततपश्चात वहां भगवान का पक्षाल कर उस पक्षाल को दुल्हा अपने सुसराल पक्ष को देगा।
उसके बाद दोनों वहीं पर पंच परमेष्ठि विधान में बैठेंगें। उस विधान का रंगोली का माण्डला बनाया जायेगा। जिसमें 108 फल का अर्ध्य चढ़ाया जायेगा। तत्पश्चात दुल्हा-दुल्हन उस माण्डला व हवन कुण्ड के फेरे लेंगे। उस दिन दोनों का एकासना रहेगा। फेरे के पश्चात प्रसाद के रूप में भोज का आयोजन होगा।
ध्यानोदय क्षेत्र से ही शाम को नव दम्पत्ति सीधे तीर्थ यात्रा के लिये निकल जायेंगे। जहां वे 3-5 दिन तक विभिन्न जैन तीर्थो की यात्रा करने के पश्चात साधु-सन्तों का आशीर्वाद ले कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करेंगे।
दुल्हा-दुल्हन का मानना है कि हमें अपनी पुरातन संस्कृति को वापस लाना है। जिसकी शुरूआत किसी न किसी को करनी होगी। अपनी संस्कृति पर अपनी पढ़ाई को हावी नहीं होने देना है, वरन् अपनी पढ़ाई उस संस्कृति में सहायक बनानी होगी ताकि वह दूसरों के लिये प्रेरणा बन सकें।
