—इनरव्हील क्लब का सास-बहू के रिश्तों में प्रेम, सम्मान और समर्पण का सुंदर उत्सव अगले माह
—प्रविष्टियों में से चुनी गईं शहर की बेहतरीन सास—बहू की जोड़ी
उदयपुर, 19 जून। भारतीय पारिवारिक व्यवस्था में सास-बहू का रिश्ता केवल ससुराल का एक औपचारिक बंधन नहीं, बल्कि दो पीढ़ियों के बीच अनुभव, परंपरा, प्रेम और समझ का सेतु होता है। जब यह संबंध स्नेह, संवाद और सम्मान से सिंचित होता है, तब न केवल परिवार में सौहार्द्र बढ़ता है, बल्कि समाज को भी सशक्त और संस्कारित दिशा मिलती है। इसी पारिवारिक माधुर्य और सामाजिक मूल्यों को सशक्त करने की प्रेरणादायक पहल गत 25 वर्षों से इनरव्हील क्लब “राजमति आदर्श सास शिरोमणी” सम्मान समारोह के रूप में कर रहा है।
संस्था की संस्थापक संयोजिका माया कुम्भट ने बताया कि इस वर्ष भी इनरव्हील क्लब की ओर से यह सम्मान सत्र 2024—25 के लिए प्रदान किया जाने वाला है। इसके लिए पिछले दिनों विभिन्न प्रश्नोत्तरी के माध्यम से प्रविष्टियां आमंत्रित की गई थीं। तीन निर्णायकों के दल ने इन सभी प्रविष्टियों को जांचने व घर—घर जाकर वस्तुस्थिति का अवलोकन करने के बाद इस बार के सम्मान के लिए 95 वर्षीय धापू पगारिया व उनकी 45 वर्षीय बहू अनीता की जोड़ी को चुना है। सास—बहू आज भी स्नेह और सामंजस्य का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। बहू ने अपने आवेदन में जिस आत्मीयता और श्रद्धा से उनकी प्रशंसा की, उसने निर्णायकों को भी भावविभोर कर दिया।
संस्था की अध्यक्ष चंद्रकला कोठारी ने बताया कि इस अभिनव पुरस्कार का उद्देश्य सास-बहू के बीच मधुर संबंधों को बढ़ावा देना और उन मातृशक्तियों को मंच पर सम्मानित करना है जिन्होंने न केवल अपने परिवार को सहेजा, बल्कि बहू के रूप में आई नई पीढ़ी को भी स्नेह से अपनाया, उसका मार्गदर्शन किया और आत्मीयता के साथ रिश्ता निभाया।
गत दिनों “इनरव्हील राजमति आदर्श सास शिरोमणी” पुरस्कार के तहत बहुओं द्वारा भेजे गए संस्मरणों, अनुभवों और पत्रों के माध्यम से चयन प्रक्रिया संपन्न हुई। प्रतियोगिता में हर बहु ने अपनी सास को अपने जीवन की प्रेरणा, मार्गदर्शक और एक आदर्श स्त्री के रूप में चित्रित किया। यह प्रमाण है कि समाज में अब भी ऐसे रिश्तों की मिसालें जीवित हैं जो यथार्थ में प्रेम और परंपरा का सुंदर संयोग बनाते हैं।
उन्होंने बताया कि इस पुरस्कार के निर्णायक मंडल द्वारा इस बार वर्ष 2024-25 की “इनरव्हील राजमति आदर्श सास शिरोमणी” के रूप में धापू देवी पगारिया को चुना गया है। इस वर्ष इस सम्मान के अतिरिक्त चार माताओं को “आदर्श सास सम्मान” भी प्रदान किया जाएगा जिनमें लक्ष्मी देवी नाहर, उर्मिला बोहरा, शांता देवी बाफना व रतन पालीवाल शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि संस्था की यह पहल केवल पुरस्कार वितरण के लिए नहीं, बल्कि पीढ़ियों के बीच विश्वास, संवाद और सह-अस्तित्व की भावना को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है, जो आज की भागदौड़ और आधुनिकता की दौड़ में कहीं न कहीं विस्मृत होती जा रही है। इनरव्हील क्लब की यह पहल समाज को यह संदेश देने का प्रयास है कि सास-बहू का रिश्ता संघर्ष नहीं, बल्कि साथ चलने की एक सुंदर यात्रा है। जब सास मां बन जाए और बहू बेटी, तो परिवार एक मंदिर बन जाता है, जहां हर रिश्ता पूज्य हो जाता है।