कमानें में भेजा और दान करने में कलेजा चाहियेः आचार्य सुनील सागर महाराज
उदयपुर। श्री दिगंबर जैन ग्लोबल महासभा, मुंबई द्वारा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग में निर्मित ग्लोबल इंस्टिट्यूट ऑफ जैनेलोजी एवं प्राकृत भवन के प्रथम चरण का आज आचार्य सुनीलसागर महाराज, आचार्य कल्प पुण्यसागर महाराज, मुनि अपूर्वसागर एवं मुनि अर्पितसागर ससंघ की निश्रा में भव्य लोकार्पण पंजाब के राज्यपाल एवं चण्डीगढ़़ के प्रशासक गुलाबचन्द कटारिया,शहर विधायक ताराचन्द जैन सहित अन्य अतिथियों ने किया।
इस अवसर पर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में आयोजित समारोह में बोलते हुए आचार्य सुनील सागर महाराज ने कहा कि मनुष्य को कमानें के लिये अपने मस्तिष्क का उपयोग करना पड़ता है लेकिन उसे दान करने के लिये कलेजा चाहिये जो बहुत कम लोगों में होता है। इस भवन में निर्माण में जिन्होंने भी दान किया उन सभी को साधुवाद दिया। उन्होंने कहा कि सभी देशी भाषाओं में प्राकृत भाषा का उपयोग होता है। यह सबसे प्राचीन भाषा है। इसके संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिये हमें प्रयास जारी रखनें चाहिये। उन्होंने उड़ीसा के खण्डगिरी, उदयगिरी में णमोकार महामंत्र मूल स्थान बताया। भवान ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 सम्मेलन में इण्डिया की जगह भारत नाम लिखकर इस देश का नाम उंचा किया।
उन्होंने युवाओं का आव्हान किया कि वे धेर्य रखें, देश व समाज के लिये काम करते रहें। उन्होंने युवाओं को गुलाबचन्द कटारिया की भंाति अच्छा श्रावक बननें की सलाह दी। आचार्य सुनील सागर महाराज ने कहा कि कटारिया के अच्छे श्रावक होने पर सभी को गर्व होना चाहिये। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्राकृत भाषा को क्लासिकल भाषा का दर्जा दिया।
इस अवसर पर आचार्य कल्प पुण्यसागर महाराज ने कहा कि प्राकृत भाषा हमारी मूल भाषा है। प्राचीनकाल में इस भाषा में ही वार्तालाप होता था। अन्य भाषाओं के प्रभाव के कारण बीच में प्राकृत भाषा का प्रभाव थोड़ा कम हुआ। प्राकृत भाषा से ही अन्य भाषाओं का जन्म हुआ है। उन्होंने कहा कि अग्रेजी में 12 हजार, गुजराती में 40 हजार,मराठी में 48 हजार,हिन्दी में डेढ़ लाख एवं प्राकृत भाषा में ढ़ाई से तीन लाख शब्द है। प्राकृताचार्य सुनील सागर महाराज ने प्राकृत भाषा में 10 ग्रन्थ लिखे है।
राज्यपाल कटारिया ने कहा कि इस भवन के प्रथम चरण के निर्माण में जमनालाल हपावत एवं उनकी टीम के योगदान को नहीं भूलाया जा सकता है। प्राकृत भाषा का इतना प्रभाव है कि इस में जैनियों ने ही नहीं वरन् गैर जैनियों ने भी पीएचडी की है। उन्होंने इस भाषा को आगे बढ़ानें पर जोर दिया।
इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल कटारिया व अन्य अतिथियों ने आचार्य सुनील सागर महाराज द्वारा लिखित पुस्तक सच्चे कहाओं का विमोचन किया।
ग्लोबल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमनालाल हपावत ने बताया कि प्रथम वर्धमान सभामंडप का लोकार्पण पंजाब के राज्यपाल महामहिम गुलाबचंद कटारिया द्वारा किया गया। प्राकृत कक्षा का निर्माण जम्बूप्रसाद जैन (गाजियाबाद) द्वारा किया गया है, जिसका लोकार्पण आचार्य श्री के सान्निध्य में हुआ। कीर्ति स्तंभ का शिलान्यास प्रदीप जैन द्वारा किया गया। प्रथम तल के कक्षा-कक्षों का निर्माण प्रदीप जैन (मामा जी) के सौजन्य से प्रस्तावित है, जिनका शिलान्यास उनके कर-कमलों से हुआ। पाण्डुलिपि हॉल का निर्माण स्व. निर्मल कुमार सेठी के सुपुत्र धर्मेन्द्र सेठी से प्रेरित होकर किया गया है। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने की। इस अवसर पर प्रदीप जैन,अशोक पाटनी,जम्बूप्रसाद जैन विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
हपावत ने बताया कि 60 हजार स्क्वायर फीट में वर्धमान सभा मण्डप बनाया गया। निर्माणकर्ता एवं भव्य लोकार्पणकर्ताओ में जम्बूप्रसाद-सरोज जैन गाजियाबाद, उ.प्र.,कीर्ति स्तम्भ के पुण्यार्जक एवं भूमिपूजनकर्ताओं में प्रदीपकुमार-मीना, नवीन, सांसद (राज्य सभा)- रेनु आगरा, भूमि पूजन कर्ता प्रदीप (मामा)-प्रतिभा एवं परिवार रहे।
समारोह के प्रारम्भ में दीप प्रज्वलन एवं प्राकृत भाषा में मंगलाचरण की प्रस्तुति के साथ ही फोटो अनावरण एवं प्रकृत भाषा में लिखी गई पुस्तक का विमोचन भी हुआ। इसके बाद अतिथि सम्मान समारोह में महामहिम गुलाबचन्द कटारिया, कुलपति सुनिता मिश्रा सहित भामाशाहों को पगड़ी, उपरना एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
जमनालाल हपावत ने कहा कि आज उदयपुरवासियों एवं सकल जैन समाज के लिए गौरव का क्षण है कि हमारें पूज्य गुरूवर एवं महामहिम राज्यपाल कटारिया के सानिध्य में ग्लोबल इंस्टिट्यूट ऑफ जैनेलोजी एवं प्राकृत भवन के प्रथम चरण का भव्य लोकार्पण हुआ है। उन्होंने सभी भामाशाहों से अपील की कि वह आगे आएं क्योंकि अभी तीन मंजिल का छात्रावास निर्माण भी करना है।
ज्योति बाबू जैन ने कहा कि हमें जलना नहीं है बल्कि तपना है। आज हमने दुनिया को बता दिया है कि हम मन्दिर, जिन मन्दिर के साथ- साथ ज्ञान मन्दिर भी बनाते हैं।
उदयपुर शहर विधायक ताराचन्द जैन ने कहा कि प्राकृत भाषा हमारंे पुरातन संस्कृति की भाषा है। इसे सम्भालना और बढ़ावा देना हम सभी का कर्तव्य है। समारोह को मो.सु.वि.वि. की कुलपति सुनीता मिश्रा ने भी संबोधित किया।
समारोह में महासभा के प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र धन्नावत,मुकेश गोटी, अशोक कुमार शाह, वीरेन्द्र धन्नावत, भंवरलाल मुण्डलिया,सुमतिलाल दुदावत सहित हजारेां श्रावक-श्राविकायें उपस्थित थे।
आचार्य सुनीलसागर ससंघ एवं पूज्य आचार्य पुण्यसागर महाराज ससंघ के पावन सानिध्य में “ग्लोबल इंस्टिट्यूट ऑफ जैनेलोजी एवं प्राकृत भवन” का हुआ भव्य लोकार्पण।
