उदयपुर। सिंधी भाषा दिवस 10 अप्रैल सिंधी गीतों की महफिल झूलेलाल भवन में आयोजित की गई जिसमें राजस्थान सिंधी संगत एवं सुरों की मंडली द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सिंधी गानों, लाड़ो, सिंधी कलाम एवं डांस पर सभी श्रोता मंत्र मुक्त होकर झूमने लगे एवं पूरा हॉल बार-बार तालियों से गुजता रहा
सिंधी भाषा दिवस को सन् 1967 में भारतीय संसद के द्वारा सिंधी भाषा को 8 वें अनुच्छेद में शामिल किया गया था।
तत्पश्चात प्रतिवर्ष 10 अप्रैल को सिंधी भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है
इसी के मध्ये नजर राजस्थान सिंधी संगत के अध्यक्ष हरीश राजानी, सचिव कैलाश नेभनानी एवं सुरों की मंडली के संस्थापक मुकेश माधवानी द्वारा सिंधी गीतों पर एक शाम सिंधियत के नाम का आयोजन किया गया
कार्यक्रम की शुरुआत झूलेलाल सेवा समिति के अध्यक्ष प्रताप राय चुग, हरीश राजानी, रमेश दतवानी, कमलेश राजानी, मुकेश माधवानी, मुरली राजानी, गिरीश राजानी, राजकुमार साहनी, मनोहर लाल मुखिया ने झूलेलाल साईं की तस्वीर पर ज्योत जलाकर पूजा अर्चना कर शुरुआत की
इसमें राजस्थान सिंधी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष हरीश राजानी ने सिंधी बोली बोलने पर पूरा जोर देते हुए सिंधी में बात करने एवं बच्चों को सिंधी भाषा सीखने और बोलने पर पूरा जोर दिया
तत्पश्चात प्रताप राय जी ने अपने संबोधन में सिंघ, एवं सिंघ के बाद हमारे जीवन में आए परिवर्तन पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें हमारे जीवन में सिंधी भाषा, सिंधी बोली का हमेशा अस्तित्व बचाए रखना है, आजकल के बच्चे घरों में सिंधी में बात नहीं करते हैं यह सही नहीं है हमें हमारी सिंधी भाषा को चलन में रखने के पूरा प्रयत्न करना चाहिए
सिंधी गानों की शुरुआत में नन्ही सी बच्ची रिद्धि परियानी ने पेसो आहे पैसो आहे गीत से की उसके बाद जितेश आहूजा के सिंधी अबानी बोली पर खूब तालियां बटोरी, ममता तलदार हिक सोन जो रुपयो, कांता दंडवानी द्वारा असाजी अम्मा बल्ले बल्ले, नेहा तलरेजा द्वारा मुंहिजी बेड़ी अथई विच सीर ते, सोनम कालरा द्वारा लाल मुहिजी पत, रेखा बिलोची द्वारा मुहिजा यार मीठा, रेवांशी मूलचंदानी द्वारा सिंधी अंबानी बोली, मीरा देवी द्वारा हथ मथे करें, डॉ हर्षा नेभनानी द्वारा नगंणा निमानी दा जीवे जीवे पालना, भगवान दास टिलवानी द्वारा कलाम पेश किया गया दिल डीजे दिलवारन खे एवं हरीश राजानी द्वारा मुहिजो तवांजी दया सां सब कम थी रयो आहे,
सभी 32 गायको द्वारा गीत एवं लाडो की प्रस्तुतियों पर पूरा हॉल बार-बार तालियों से गूंजता रहा अंत में नन्ही सी बच्ची द्वारा अरदास करवाई गई
सिंधी शिक्षा जगत के शमशेर सिंह नंदवानी द्वारा सिंधी शिक्षा एवं बोली पर बच्चों को प्रेरित करते हुए इन्हें शिक्षा मुहैया करवाने का आश्वासन दिया ताकि सिंधी भाषा और सिंधी बोली सदा हमारे मन में, जीवन में जागृत रहे और इसका अस्तित्व बचा रहे
अंत में सभी प्रतिभागियों को ऊपरना पहना कर एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया कार्यक्रम का सफल संचालन अर्चना चावला ने किया
कार्यक्रम में सुरो की मंडली के संस्थापक मुकेश माधवनी ने इस सिंधी गीतों भरी संध्या को सफल बनाने के लिए कई दिनों से की जा रही तैयारीयों के लिए कैलाश केवलिया, हरीश राजानी, कैलाश नेभनानी, कमलेश राजानी, रमेश दतवानी, हरीश भाटिया सहित प्रताप राय जी चुग, राजकुमार साहनी, अर्चना चावला को मोमेंटो देकर एवं ऊपरना पहना कर सम्मानित किया
अंत में पूर्व राज्य मंत्री एवं राजस्थान सिंधी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष हरीश राजानी ने सभी को सिंधी भाषा दिवस के उपलक्ष में सिंधी संगीत संध्या कार्यक्रम में आए श्रोतागण एवं गायकों को सिंधी भाषा अपने जीवन शैली में अपनाने के लिए शपथ दिलवाई एवं कहा कि भविष्य में भी इसी तरह के आयोजन करके सिंधियत को हमेशा आगे बढ़ाते हुए जीवन पर्यंत अपने जीवन शैली में अपनाते रहेंगे.