-यूडीए में आदिवासी क्षेत्र के गावों को मिलाने का किया विरोध
-राजेश वर्मा
उदयपुर, 20 जून। डूंगरपुर-बांसवाड़ा से बीएपी सांसद राजकुमार रोत के नेतृत्व में आदिवासी क्षेत्र के ग्रामीणों ने यूडीए विस्तार में जनजाति क्षेत्र के गांवों को मिलाने के विरोध में शुक्रवार को भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के बैनर तले यहां जिला कलेक्ट्री के बाहर प्रदर्शन किया और अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
सांसद रोत के नेतृत्व में बड़ी संख्या में आदिवासी ग्रामीण जुलूस के रूप में यहां जिला कलेक्ट्री के बाहर पहुंचे और हाथों में बैनर, तख्तियां उठाऐ अपनी मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया। आदिवासी ग्रामीण यूडीए के विस्तार में जनजाति क्षेत्र के गांवों को शामिल करने का विरोध कर रहे थे। इसके बाद सांसद रोत के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में यूडीए विस्तार में जनजाति क्षेत्र के गांवों को शामिल नहीं कर उससे मुक्त रखने की मांग की गई।
विस्थापित करने के नाम पर हड़पी जा रही आदिवासियों की जमीन: रोत
इस मौके पर बीएपी सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि यूडीए का विस्तार किया जा रहा है जबकि यहां 50-60 सालों से आदिवासी, दलित, पिछड़े हुए परिवार बसे हुएं हैं। उनकी जमीनें यूडीए विकास के नाम पर हड़प रहा है। वर्षों से आदिवासी के साथ अत्याचार किया जा रहा है। उनका जंगल उनसे छिना जा रहा है। सालों से कई सरकारें आई और चली गई लेकिन आदिवासी की समस्या जस की तस रहती है। संवैधानिक प्रावधान होने के बावजूद आदिवासी इलाकों में यूडीए व नगर पालिका लागू की जा रही है। इसी के विरोध में प्रदर्शन किया गया। रोत ने कहा कि वर्तमान में 70 नए गांव जोड़ने का प्रस्ताव भेजा गया है जबकि जनजाति क्षेत्र में यूडीए व नगर निगम होना ही नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि यूडीए की जो मौजूदा सीमा है उससे आगे नहीं बढ़ना चाहिए। आदिवासियों को पहले से जनजाति क्षेत्र में बने हुए मकान व कब्जों का मालिकाना हक मिलना चाहिए।
षडयंत्र का जनता दे दिया जवाब : रिश्वत के मामले में बीएपी के विधायक के पकड़े जाने के सवाल पर सांसद रोत ने कहा कि हाल ही उप चुनाव में बागीदौरा की जनता ने इसका जोरदार जवाब दिया है। यहां की जनता समझ चुकी है कि सत्ता पार्टी ने षडयंत्र के तहत फंसाया है। जहां भाजपा जीती हुई थी उपचुनाव में बुरी तरह से हारी है। जनता ने जवाब दे दिया है और आगे भी जवाब देगी। सांसद रोत ने कहा कि पहली बार किसी विधायक को ट्रेप किया है। उनकी टीम ने इस मामले की गहराई तक जांच की है जिसमें साफ है कि विधायक को षडयंत्र कर फंसाया गया। आगे वाली पार्टी ने उसे चालीस बार कॉल किए है। वरना वे क्षेत्रीय विधायक से क्यों संपर्क करते।