उदयपुर, 29 जून। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग व टीईईआर फाउंडेशन नासिक के तत्वावधान में देश के 10 राज्यों के अनुसूचित क्षेत्रों में ‘‘पंचायतों के प्रावधान अधिनियम‘‘, 1996 (पेसा कानून) तथा ‘‘अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम‘‘, 2006 के क्रियान्वयन को लेकर अनुसंधान अध्ययन किया जा रहा है। इस संबंध में तीन सदस्यीय अन्वेषण दल 27 जून से 2 जुलाई तक उदयपुर संभाग में एफआरए के तहत गठित राज्य, जिला व उपखंड स्तरीय समिति एवं वन अधिकार समिति के सदस्यों सहित नोडल विभाग जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, राजस्व विभाग, वन विभाग एवं पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों से संवाद कर रहा है।टीएडी आयुक्त राजेन्द्र भट्ट के साथ एनसीएसटी अध्ययन दल के प्रधान अन्वेषक मिलिंद थत्ते, सह अन्वेषक सरयू जखोटिया एवं डॉ. गजेन्द्र गुप्ता ने मुलाकात की। अन्वेषण दल ने इस बात पर जोर दिया कि वनाधिकार अधिनियम के प्रावधान 3(1) के तहत प्रत्येक गांव जहां वन भूमि है, सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (सीएफआरआर) की प्रक्रिया पूरी हो। पेसा एवं वन अधिकार अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला, ब्लॉक स्तर पर कार्मिकों की नियुक्ति एवं गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से दावा प्रक्रिया के संबंध में लोगों को जागरूक किया जाए।आयुक्त ने कहा कि वे गांव जिन्हें, सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र मिल गया है वहां ‘‘सामुदायिक वन अधिकार विकास योजना‘‘ के तहत जल संग्रहण, वृक्षारोपण, फलदार पौधे लगाने, मछली पालन, चारागाह विकास, सामुदायिक भवन, वर्कशेड, प्रसंस्करण केन्द्र इत्यादि काम करवाए जाने है। इसके लिए जिला कलक्टर के माध्यम से प्रस्ताव मांगे गए है। साथ ही, दल द्वारा किए जा रहे अनुसंधान अध्ययन द्वारा तैयार किए गए सुझाव रिपोर्ट उपलब्ध करवाने को कहा है।बैठक के दौरान डॉ. वी.सी. गर्ग, अतिरिक्त आयुक्त (प्रथम), गोविंद सिंह राणावत, अतिरिक्त आयुक्त (द्वितीय), जितेन्द्र कुमार पांडे, उपनिदेशक (सु.व्य.), पर्वत सिंह चुंडावत, उपायुक्त (टीएडी), डॉ. अमृता दाधीच, श्री विजय खंडेलवाल एवं डॉ. भरत कुमार श्रीमाली उपस्थित रहे।
जनजाति क्षेत्रों में विभिन्न अधिनियम व कानून के लिए जागरूकता कार्यक्रम
