विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) पर विशेष आलेख
– राहुल भटनागर
वैश्विक प्राथमिकता बनाए जाने के पचास वर्षों से अधिक समय बाद भी, पर्यावरण संरक्षण समूची दुनिया के लिए मुख्य चुनौती बनी हुई है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अनेक प्रयासों के बावजूद संरक्षण और स्थिरता में सार्थक प्रगति सीमित ही हुई है। इस समस्या की जड़ सामूहिक मानसिकता में है कि कोई और इस पर्यावरणीय संकट को सुलझाएगा—यह एक खतरनाक भ्रांति है, जिसे रॉबर्ट स्वेन की उक्तिवाक्य “हमारे ग्रह के लिए सबसे बड़ा खतरा यह विश्वास है कि कोई और इसे बचाएगा” ने बखूबी दर्शाया है। इसका समाधान जागरूकता, संरक्षण और व्यावहारिक कार्रवाई के पुनः सशक्त संयोजन में निहित है, जिसे नवीनीकृत तत्परता के साथ अपनाना आवश्यक है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्थक पहल : ग्रीन पीपल सोसाइटी
झीलों के शहर उदयपुर में ग्रीन पीपल सोसाइटी (GPS), 2020 में स्थापित हुई, एक समग्र दृष्टिकोण का उदाहरण प्रस्तुत करती है। वन विभाग, प्रशासन, शिक्षा, कॉर्पोरेट और प्रबंधन जैसे क्षेत्रों से दशकों के अनुभव रखने वाले विशेषज्ञों के सहयोग से GPS सरकारी विभागों, WWF और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी जैसे गैर-सरकारी संगठनों तथा स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम करती है। उनकी पहलें विश्व पर्यावरण दिवस और अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस जैसे महत्वपूर्ण पर्यावरण दिवसों पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती हैं, जो समुदाय को जोड़ने में मदद करती हैं।
GPS का प्रमुख कार्यक्रम व्यापक सामुदायिक कार्यक्रम (CCOP) है, जो वृक्षारोपण, मत्स्य पालन, पशुपालन और ग्राम पंचायत- पुस्तकालयों के सशक्तिकरण के माध्यम से ग्रामीण विकास पर केंद्रित है। उदयपुर के निकट गांवों में इनके उदाहरण प्रभावी संरक्षण और समुदाय सशक्तिकरण को दर्शाते हैं। इसके अतिरिक्त, GPS छात्र इंटर्नशिप और अंतरराष्ट्रीय विनिमय कार्यक्रम भी संचालित करता है। महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय के साथ सहयोग समझौता ज्ञापन इस प्रतिबद्धता को और सुदृढ़ करता है।
स्थिरता का अर्थ है वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करना बिना भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को प्रभावित किए। व्यक्तिगत स्तर पर प्लास्टिक के उपयोग में कमी, कार्बन फुटप्रिंट की गणना, जलवायु शिक्षा को प्रोत्साहित करना, पौध-आधारित आहार को अपनाना आदि सरल लेकिन प्रभावी कदम हैं जो स्थिरता को बढ़ावा देते हैं।
जैव विविधता संरक्षण की प्रतिबद्धता:
जैव विविधता संरक्षण भी उतना ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पारिस्थितिक तंत्र और मानव जीवन के लिए अनिवार्य है। GPS विविध प्रजातियों के पौधों को लगाने के लिए ‘रिवाइल्डिंग स्टिक’ जैसी अभिनव तकनीकों को बढ़ावा देता है, जिससे पर्यावरणीय संतुलन और जीव-जंतुओं के आवासों का संरक्षण संभव होता है।
लेख में कृषि क्षेत्र की चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है, विशेषकर उदयपुर जिले जैसे इलाकों में जहां जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी, कटाई और प्रदूषण ने खेती को गंभीर खतरे में डाल दिया है। इसके लिए वर्षा जल संचयन, कृषि वनीकरण, पारंपरिक जल स्रोतों का पुनरुद्धार, जैविक खेती और जलवायु-प्रतिरोधी बीजों का उपयोग जैसे उपाय जरूरी बताए गए हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण के प्रति जागरूकता जरूरी :
प्लास्टिक प्रदूषण पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य दोनों के लिए एक गंभीर खतरा है। माइक्रोप्लास्टिक्स के कारण सांस संबंधी समस्याएं, हार्मोनल असंतुलन और कई रोग उत्पन्न हो सकते हैं। विश्व पर्यावरण दिवस 2025 का विषय ‘प्लास्टिक प्रदूषण का अंत’ है, जिसके तहत GPS स्कूलों, छात्रों और समुदाय को प्लास्टिक के उपयोग में कमी के लिए जागरूक करेगा।
GPS के वृक्षारोपण प्रयास भी पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं—जो विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उपयुक्त फलने-फूलने वाले पेड़ों का चयन, जल स्रोत प्रबंधन, विदेशी पौधों के उन्मूलन और पक्षी आवास विकास जैसे कार्य करते हैं।
संक्षेप में, यह लेख पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता, संरक्षण और अभ्यास के समग्र, सामुदायिक और नवाचारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देता है। GPS जैसी संस्थाएं यह दिखाती हैं कि व्यक्तिगत से लेकर संस्थागत स्तर तक समन्वित प्रयासों से सतत भविष्य की दिशा में सार्थक प्रगति संभव है।