सांसद डॉ मन्नालाल रावत के प्रश्न पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने दी जानकारी
उदयपुर। प्राकृतिक और जैविक कृषि का प्रचलन बढ रहा है और पिछले पांच सालों में उदयपुर संसदीय क्षेत्र में भी किसानों की इसके प्रति रुचि बढ रही है। केंद्र सरकार भी परंपरागत कृषि विकास योजना के माध्यम से किसानों को मदद कर रही है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने मंगलवार को सांसद डॉ मन्नालाल रावत द्वारा पूछे गए प्रश्न पर यह जानकारी दी है। सांसद डॉ रावत ने राजस्थान के उदयपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में प्राकृतिक एवं जैविक कृषि प्रणालियों को अपनाने वाले किसानों की संख्या और ऐसी प्रणालियों के अंतर्गत भूमि का क्षेत्रफल कितना है, इसकी जानकारी मांगी थी। साथ ही सरकार द्वारा राजस्थान में पिछले पांच वर्षों के दौरान प्राकृतिक एवं जैविक कृषि प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता व योजनाओं तथा सरकार द्वारा प्राकृतिक एवं जैविक कृषि प्रणालियों को अपनाने वाले किसानों के लिए मौजूदा प्रोत्साहनों में वृद्धि के प्रस्ताव को लेकर भी जानकारी मांगी थी।
सांसद डॉ रावत के जवाब में बताया गया कि राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एन.एम.एन.एफ.) के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। राजस्थान में 2.25 लाख किसानों ने 90,000 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की शुरुआत की है। वर्ष 2015-16 से परम्परागत कृषि विकास योजना (पी. के. वी.वाई.) के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया है। पी. के. वी.वाई. के अंतर्गत, राजस्थान में 2.17 लाख किसानों के साथ 1.485 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत किसानों को प्राकृतिक खेती करने, प्रशिक्षण, पशुधन (प्रमुख रूप से स्थानीय नस्ल) के रखरखाव मिश्रण और भंडारण कंटेनरों की खरीद, जैव-इनपुट संसाधन केंद्रों से प्राकृतिक खेती के इनपुट की खरीद सहित प्राकृतिक खेती के इनपुट की तैयारी आदि के लिए 2 वर्ष के लिए प्रति किसान प्रति वर्ष प्रति एकड़ 4 हजार रुपये के आउटपुट आधारित प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। एन.एम.एन.एफ. के तहत राजस्थान में किसानों का नामांकन शुरू हो गया है।
परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत, किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के माध्यम से ऑन-फार्म और ऑफ-फार्म ओर्गेनिक इनपुट दोनों के लिए तीन वर्षों में प्रति हेक्टेयर 15,000 रुपये की वितीय सहायता प्रदान की जाती है। पी. के. वी.वाई. के अंतर्गत एक किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए सहायता प्राप्त कर सकता है। पिछले पाँच वर्षों के दौरान राजस्थान में पी.के.वी.वाई. के अंतर्गत किसानों को प्रदान की गई वितीय सहायता का जिलवार विवरण अनुबंध-1 पर दिया गया है। एन.एम.एन.एफ. और पी. के. वी.वाई. के अंतर्गत किसानों के लिए मौजूदा प्रोत्साहनों में परिवर्तन करने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
उदयपुर संसदीय क्षेत्र में 2015-16 में परम्परागत कृषि विकास योजना में किसानों की संख्या जहां 750 थी वह 2025-26 में बढकर 2800 हो गई है तथा कलस्टर की संख्या भी 15 से 70 हो गई है। इसी तरह राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन में भी किसानों की संख्या 11 हजार 250 तक हो गई है।
संसद में उदयपुर: सरकार की मदद से प्राकृतिक व जैविक खेती की ओर किसानों की रुचि बढ रही है
