उदयपुर। न्यू भूपालपुरा स्थित अरिहंत भवन में विराजमान आचार्य प्रवर ज्ञानचंद्र महाराज ने आज धर्मसभा में बोलते हुए कहा कि जिसके मन में अधिक पाने की इच्छा है वह गरीब है। शिखर तक पहुंचने के लिए बाहरी दौड़ लगाएंगे तो वहां तक नहीं पहुंचोगे। इच्छाएं सीमित करिए। लोभी चौकीदार है। लोभी का धन किसी के काम नहीं आता। पैसा चाहिए तो बाहर मत भागिए। अच्छे काम करिए पैसा अपने आप आएगा।
उन्होंने कहा कि आजकल पढ़ना हो या नौकरी चाहिए। बिना जैक और चेक के काम होना मुश्किल हो गए है। जिनको दिमाग, भुजाएं और अपने पर कॉन्फिडेंस हो तो जैक चेक की जरूरत नहीं पड़ती। आचार्य ने कहा कि अभी चतुर्मास में अनंतकाय के जीवों की भरपूर उत्पत्ति का समय चल रहा है। हमें यतना रखने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मेरे पास एक व्यक्ति आया और बोला जैन धर्म इतना अच्छा है, फिर भी जैनी कम क्यों है। मैंने कहा देखो यदि यह कह दिया शराब पियो, मांस खाओ, अंडा खाओ, सब चलेगा तब भी तुम धर्मी हो, यदि ऐसा हो जाए तो सारा जहान जैनी बन जाएगा। जैनी की ये सब नहीं चलते, इसलिए जैनु कम है।
जैन धर्म का प्रभाव क्वालिटी से है, क्वांटिटी से नहीं है। इसलिए 36 काम में से जहां जैनी का मकान है, वहां सभी जनें मकान लेने के लिए तैयार हैं। क्योंकि जो क्वालिटी जैनियों के खून में मिली है, वे संस्कार ही जैनियों का प्रभाव बनाए हुए हैं ।
आचार्य ने बताया कि हमारे यहां हर काम में महिलाएं आगे हैं। सभा के संचालन हो या दान का काम हो, सब में महिलाएं उत्साह दिखा रही हैं। एक बहन आई उसने गुप्त दान दिया तो दूसरी बहन आई 4 महीने चातुर्मास में यहां स्वधर्मि सेवा का लाभ लेना है। सुषमा अनिल बंब स्वधर्मि सेवा का लाभ लिया। सभा में रिटायर्ड जज श्री प्रकाश चंद पगारिया जी भी उपस्थित थे।
जिसके मन में अधिक पाने की इच्छा,वह गरीब:आचार्य ज्ञानेश
