उदयपुर, 21 फरवरी। 19वीं सदी के महान् विचारक, वेदों के महान व्याख्याता, महर्षि दयानन्द सरस्वती 10 अगस्त 1882 को उदयपुर पधारे थे और तत्कालीन महाराणा सज्जन सिंह ने उन्हें अपने अतिथिगृह गुलाबबाग स्थित नवलखा महल में ठहराया। यह वही स्थान है जहां महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश की रचना की। यह स्थल ऐतिहासिक धरोहर के रूप में अब उदयपुर में आर्य समाज का प्रमुख केन्द्र होने के साथ देशभर में चर्चित है। पिछले वर्षों से जारी इसके जीर्णोद्धार कार्य के पूर्ण होने पर अब इसके नवस्वरूप का लोकार्पण होने जा रहा है। इसका लोकार्पण 26 फरवरी को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत करेंगे।
श्रीमद दयानंद सत्यार्थ प्रकाश न्यास उदयपुर के अध्यक्ष अशोक आर्य ने मंगलवार को लोकार्पण कार्यक्रम तथा नवस्वरूप की अवधारणा की विस्तृत जानकारी पत्रकारों को दी। प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि दो दिवसीय समारोह में पहले दिन 26 फरवरी को सुबह नवलखा महल सांस्कृतिक केन्द्र का लोकार्पण होगा। लोकार्पण गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत करेंगे। दूसरे दिन के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हाल ही असम के राज्यपाल के रूप में मनोनीत गुलाबचंद कटारिया होंगे। अध्यक्षता जेबीएम ग्रुप के चेयरमैन सुरेन्द्र कुमार आर्य करेंगे। सिक्किम के पूर्व राजयपाल बाबू गंगा प्रसाद भी इस अवसर पर विशेष अतिथि होंगे। इनके अलावा भी कई विभूतियां कार्यक्रम में शामिल हो रही हैं।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. अमृतलाल तापड़िया और न्यास के मंत्री भवानीदास आर्य ने बताया कि कार्यक्रम को लेकर तैयारियां जोरों पर है। बाहर से भी अतिथि आ रहे हैं, उनके आवास की व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं।
नवलखा महल सांस्कृतिक केन्द्र के नवस्वरूप के बारे में डॉ. अशोक आर्य ने बताया कि यह अपनी तरह का ऐसा पहला केन्द्र है जहां जीवन के सत्य, संस्कारों और वेदों में वर्णित ज्ञान को सरल रूप में समझाने का प्रयास किया गया है। जीवन के 16 संस्कारों को झांकियों के रूप में बनाया गया है और उनके बारे में समझाने के लिए ऑडियो की भी व्यवस्था की गई है जिसे क्यूआर कोड स्कैन करके कोई भी सुन सकता है। इसका अंग्रेजी अनुवाद भी करवाया जा रहा है। वेद मंत्रों के अर्थ दृश्यात्मक रूप से समझाए गए हैं। छोटा थियेटर भी बनाया गया है जिसमें महापुरुषों के बारे में फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा। भारत गौरव दर्शन दीर्घा भी बनाई गई है।
आर्य ने बताया कि किसी भी महापुरुष के व्यक्तित्व निर्माण में माता की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। ऐसी 10 माताओं के वर्णन वाली भी दीर्घा बनाई गई है। उन्होंने बताया कि इन सभी का दर्शन सिर्फ 30 रुपये के प्रवेश शुल्क पर रखा गया है। हालांकि, विद्यालयों के छात्र-छात्राओं के सामूहिक आगमन पर विद्यालय के आग्रह पर प्रवेश पूर्णतः निःशुल्क रखा गया है। न्यास स्कूलों को स्वयं पत्र लिखकर यह जानकारी दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रयास किया जा रहा है कि न्यास के पास एक बस की व्यवस्था हो जाए ताकि जिन स्कूलों के पास बस नहीं है, उनके बच्चों को लाने-छोड़ने के लिए न्यास ही बस उपलब्ध करा सके। न्यास का लक्ष्य है कि भारतीय संस्कारों के इस दर्शन को उदयपुर के 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी लोग देखें।
शुल्क रखे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ऐसे अनुभव सामने आए हैं कि व्यक्ति यह सोचता है कि कहीं जाने के दस रुपये लग रहे हैं तो अंदर कुछ न कुछ होगा, निःशुल्क होने पर सामान्य रूप से यह मान लिया जाता है कि अंदर कुछ नहीं होगा। इसीलिए मामूली शुल्क का निर्णय किया गया। इस स्थल के बारे में रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, हवाई अड्डे आदि पर भी जानकारी उपलब्ध हो, ऐसा प्रयास किया जा रहा है। पर्यटन विभाग भी इसमें सहयोग कर रहा है। पर्यटन विभाग के पोर्टल पर इस स्थल की जानकारी दी गई है।
आर्य ने कहा कि उदयपुर का गुलाबबाग वैसे भी प्रसिद्ध है और सत्यार्थ प्रकाश की रचना के स्थल के रूप में नवलखा महल की अपनी ऐतिहासिक पहचान है, यह स्थल संस्कारों का वाहक बने, इसी उद्देश्य से इसे नया स्वरूप दिया गया है। संस्कारों की सुगंध से पूरा संस्कार सुवासित हो सके, इसके लिए परिसर में पर्यटकों पर फोटो-वीडियो की कोई पाबंदी नहीं रखी गई है।