उदयपुर, 30 अगस्त। श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में मालदास स्ट्रीट स्थित आराधना भवन में चातुर्मास कर रहे पंन्यास प्रवर निरागरत्न विजय जी म.सा. ने शुक्रवार को धर्मसभा में कहा कि दुनिया में तीन तरह के व्यक्ति होते हैं-नास्तिक, आस्तिक और धार्मिक। नास्तिक वर्तमानदर्शी होते हैं जो दिखे वो ही माने, जमीन मार्ग के जैसे जहां रोड़ दिखेगा वही चलेगा, आस्तिक दीर्घदर्शी होते है। न दिखे फिर भी माने यानि पानी में मार्ग थोड़ा रास्ता निकलेगा आगे चलता रहेगा और धार्मिक परिणामदर्शी, मार्ग ही न हो आकाश की तरह कोई रहा उसके भरोसे चलता रहेगा। विज्ञान विजिबल फोर्स पर विश्वास करता है जबकि धर्म अनविजिबल फॉर्स पर। हमारी श्रद्धा को तोड़ने के लिए श्रद्धा पर हमला करने के लिए पाश्चात्य संस्कृति पीछे पड़ी है। जो आपकी श्रद्धा को चैलेंज कर उसका प्रतीकार करे अगर वो नहीं हो सके तो उस स्थान को छोड़ दीजिये। आज चारों ओर श्रद्धा पर आक्रमण हो रहे हैं। उस श्रद्धा को टिकाने के लिए हमें पुरूषार्थ करना चाहिए। श्रद्धा के चार आउटपुट है-प्रसन्नता, जीवों पर प्रेम, पवित्रता और परमात्मा। प्रेम, परिवार, संबंध और श्रद्धादि सभी क्षेत्र को टिकाने के लिए पांच महत्वपूर्ण तत्व है, कन्वर्सेशन, कॉन्ट्रीब्यूशन, कन्फेशन, कनेक्शन और कन्वर्जन। हमने इतने वर्षों तक क्रोध का, राग का, द्वेष का, मोह का नुकसान सुना, लोभ के नुकसान सुने पर सुनने के बाद परिवर्तन कितना? धर्म जब आचरण में आएगा तब हमारे में परिवर्तन आएगा। श्रीसंघ अध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र हिरण ने बताया कि शनिवार से पर्वाधिराज पर्युषण पर पंन्यास प्रवर प्रवचन फरमाएंगे। साथ ही धर्म आराधना के साथ त्याग-तपस्याओं की लड़ी भी निरन्तर जारी है।
धर्म जब आचरण में आएगा तब हमारे में परिवर्तन आएगा : निरागरत्न
