उदयपुर अब कहलाएगा वेटलैंड सिटी

-रामसर कन्वेंशन की स्थाई समिति ने दी मान्यता-
राजेश वर्मा
उदयपुर, 25 जनवरी। विश्व पर्यटन मानचित्र में प्रसिद्ध झीलों की नगरी उदयपुर अब वेटलैंड सिटी के नाम से भी कहलाएगा। भारत सरकार की ओर से रामसर कन्वेंशन को भोपाल, इंदौर और उदयपुर के नाम भेजे गए थे। रामसर कन्वेंशन ने दुनिया के 31 शहरों के नाम घोषित कर इन्हें वेटलैंड सिटी का दर्जा दिया। इनमें भारत देश के इंदौर और उदयपुर का नाम शामिल है। वेटलैंड सिटी की मान्यता मिलने के बाद अब उदयपुर सिटी का जहां वर्चस्व बढ़ेगा वहीं यहां पिछोला, फतहसागर सहित आसपास वेटलैंड वाली प्रमुख झील व तालाब को संरक्षित करने का काम भी होगा। इसके लिए सरकार से बजट भी बढ़ेगा।

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बीती रात सोशल प्लेटफार्म एक्स पर उदयपुर और इंदौर के वेटलैंड सिटी चयन होने की जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह पहल उन शहरों को अंतरराष्ट्रीय पहचान और सकारात्मक ब्रांडिंग का मौका देती है जो अपने वेटलैंड्स की महत्ता को समझते हैं ओर उनका संरक्षण करते हैं। रामसर कन्वेंशन की स्थाई समिति की बैठक में भारत के दो शहरों उदयपुर (राजस्थान) और इंदौर (मध्यप्रदेश) को वेटलैंड सिटी एक्रिडिटेशन (डब्ल्यूसीए) की मान्यता दी गई है जो शहरी आर्द्रभूमि की सुरक्षा के लिए किए गए कामों पर दी गई। वेटलैंड सिटी के लिए उदयपुर जिला प्रशासन की ओर से नगर निगम व वन विभाग के माध्यम से राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवाया गया था जिसे राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को भेजा और केंद्र ने यूनेस्को की ओर से स्थापित रामसर कन्वेंशन को प्रेषित किया था। उदयपुर में बढ़ते आबादी क्षेत्र और भूमि की मांग के बीच यहां आर्द्रभूमि को अतिक्रमण की बढ़ती प्रवृति से संरक्षित करने के लिए वेटलैंड सिटी के लिए आवेदन किया गया था। वेटलैंड सिटी की मान्यता शहरी विकास सुनिश्चित करने में बेहतर योगदान देती है।

 वेटलैंड साइड पर है प्रवासी पक्षियों के ठिकाने : उदयपुर शहर में पिछोला, दूधतलाई, रंगसागर, कुंवारिया तालाब, स्वरुप सागर, फतहसागर, गोवर्धनसागर, रूपसागर, बड़ी जैसी झीलों के अलावा समीपवर्ती मेनार में हर साल आने दूर दराज से आने वाले प्रवासी पक्षी अपना ठिकाना बनाते हैं। ये आर्द्रभूमि शहर की संस्कृति और पहचान का एक अभिन्न अंग होकर यहां के सूक्ष्म जलवायु को बनाए रखने में मदद करते हैं। झील-तालाबों के किनारे वेटलैंड साइट है। इनमें से मेनार तो बर्ड विलेज के नाम से ख्यात हो चुका है। कुछ प्रवासियों को तो यहां का पर्यावरण इतना रास आया कि वे स्थानीय होकर रह गए।

बीमार झीलों के लिए वरदान : झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेजशंकर पालीवाल ने उदयपुर सिटी को वेटलैंड में शामिल करने को बीमार झीलों के लिए वरदान बताते हुए कहा कि इससे संपूर्ण पर्यावरण संरक्षण होगा। वर्षों से उदयपुर की झीलों को वेटलैंड में शामिल करने के लिए आवाज उठा रहे थे। अब नए टापू बनाने की कोई जरुरत नहीं है जो टापू पिछोला में है उन्हीं को सुरक्षित करना चाहिए। उदयपुर के तालाब वेटलैंड घोषित होना स्वागत योग्य है।

प्रयासों के परिणाम आज आपके समक्ष : पर्यावरणविद् डॉ अजातु शत्रु सिंह शिवरती ने कहा कि उदयपुर शहर की सुंदरता यहां बनी मीठे पानी की झीलों, तालाबों, नदियों से जानी जाती है। इसी सुंदरता की वजह से तालाब विश्व में प्रसिद्ध हैं। इनके प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने का सभी व्यक्तियों का दायित्व है। इस संबंध में स्थानीय निगम, निकाय को भी सजग रखते हुए इनके दायित्व रखना होता है। राज्य सरकार, केंद्र सरकार व उच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतो का ध्यान में रखते हुए नदी, झीलों, तालाबों के संबंध में भारतीय मानक संस्थानों द्वारा बांध तथा संबंध सरंचनाओं का निरीक्षण तथा रख रखाव के अनुसार पाल से 200 मीटर तक निर्माण निषेध क्षेत्र है।

बढ़ गई संरक्षण की जिम्मेदारी ; राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्देश पर गठित वेटलैंड टास्क फोर्स एवं  सीवरेज टास्क फोर्स के पूर्व सदस्य प्रो. महेश शर्मा ने कहा कि अब वेटलैंड सिटी में नम भूमियों का बुद्धिमता पूर्ण उपयोग करते हुए शहर में पर्याप्त जलापूर्ति तथा मल जल निस्तारण की संपूर्ण व्यवस्था करनी होगी। उदयपुर शहर के वेटलैंड सिटी घोषित होने से हालांकि हमें कोई वैधानिक अधिकार तो नहीं मिलते किंतु अब हमारी जिम्मेदारियां बहुत बढ़ गई है जिन्हें हमें निभाना होगा। जिले के एक मात्र घोषित वेटलैंड कॉम्प्लेक्स मेनार को ना सिर्फ प्रदूषण मुक्त करना होगा बल्कि इसे गर्मियों में सूखने से बचाने के लिए मैनेजमेंट प्लान बनाना होगा। वेटलैंड सिटी घोषित होने के साथ ही उदयपुर की झीलों के साथ  जिले के एक मात्र वेटलैंड कॉम्प्लेक्स (मेनार के दोनों तालाबों) को रामसर के दिशा निर्देशों के अनुरूप संरक्षण की जिम्मेदारी बढ़ गई है।

By Udaipurviews

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