उदयपुर। जीवन में तीन रिश्ते किस्मत से मिलते हैं। अच्छी पत्नी, अच्छी संतान और अच्छा दोस्त। पत्नी का चुनाव घर वाले और रिश्तेदार की सहमति से होता है। संतान प्रकृति की देन है, लेकिन दोस्त का रिश्ता तो हम स्वयं चुनते हैं। यदि पत्नी खराब मिली तो एक जन्म ही खराब होता है, लेकिन यदि दोस्त खराब बन गया तो तुम्हारी आदतें और संस्कार सब बेकार हो जाएंगे और सारा जीवन पाप कमाने में निकल जाएगा, जिससे एक नहीं कई जीवन बर्बाद हो जाएंगे। पत्नी से भी अधिक सावधानी मित्र के चयन में बरतना चाहिए। यह विचार साध्वी डॉ संयमलता ने शुक्रवार को सेक्टर चार स्थित जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
“मित्रता कैसे निभाये” पर आधारित आज समारोह में साध्वी संयमलता ने कहा कि भगवान महावीर ने भी कहा था सत्त्वेसु मैत्री तुम उनके साथ मित्रता करो, जिनके जीवन में सत्व हो, यथार्थ हो, जिनकी जिंदगी दोहरी ना हो, जो अच्छे संस्कारों से युक्त हो, जिनके जीवन में धर्म और अध्यात्म के लिए जगह हो। जो नेक दिल हो, बुरी आदतों से बचे हो, बुरे काम से डरते हो, अच्छे कामों में विश्वास करते हो। साध्वी ने आगे कहा मित्र का चयन मौज मस्ती के लिए ना करें। हमारी मित्रता ना तो स्वार्थ से जुड़े, ना कामना से, ना वासना से, ना लोभ से। मित्रता केवल प्रेम भावना से जुड़े। मित्र वही जो एक दूसरे के बुरे वक्त में काम आ सके। स्वार्थी मित्रों से जितना दूर रहा जाए उतना ही अच्छा। मित्र हो इत्र की तरह जिससे चरित्र महक सके।
बेटियां हीरे के समान-साध्वी ने आगे कहा कि मेरे पास कई बार बच्चियां शिकायत लेकर आती हैं कि हमारे माता-पिता हम पर अत्यधिक पाबंदी लगाते हैं और भाईयों को पूरी आजादी मिलती है। मैंने कहा कि याद रखना बेटियां हीरे के समान होती हैं और हीरे को ही तिजोरी में ही रखा जाता हैै। साध्वी ने उन्हें समझाइश देते हुए कहा कि किसी से मित्रता रखने से पहले देखो कि उसके विचार कैसे हैं। जैन शास्त्र ‘भगवती सूत्र’ में गौतम स्वामी व स्कंधक परिव्राजक की पूर्वभव की मित्रता का उल्लेख किया व साथ ही सुदामा कृष्ण, कर्ण और राम व सुग्रीव की मित्रता की मिसाल बताते हुए उनके जैसी मित्रता निभाने का समझाया।मौजूद श्रावक श्राविकाओं ने ष्मैं सदैव जीवदया प्रेमी रहूँगा, ऐसा संकल्प लिया।
700 एकासन संपन्न हुए-23 वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ व माँ पद्मावती को समर्पित अखंड सौलह शुक्रवार की साधना के अंतर्गत श्रावक – श्राविकाओं ने एकासन व्रत संपन्न किया। एकासन व्रत से पूर्व साध्वी कमलप्रज्ञा ने साधकों को विधि करवाते हुए माँ पद्मावती की आरती व चालीसा संपन्न करवाया।
मित्र भले हीे एक हो, लेकिन वो भी लाखो में नेक हो -डॉ.संयमलता
