धरतीपुत्रों को डिजिटली सशक्त बनाने प्रदेश सरकार की अभिनव पहल

किसानों को मिलेगी डिजिटल पहचान, फार्मर रजिस्ट्री से होगा काम आसान
प्रदेश भर में फार्मर रजिस्ट्री अभियान 5 से
जिले में भी आयोजित होंगे शिविर
उदयपुर, 31 जनवरी। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भजन लाल शर्मा के मार्गदर्शन में राज्य के किसानों को सशक्त करने के लिए उन्हें डिजिटल रूप से सक्षम बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है। एग्रीस्टैक योजना के तहत फार्मर रजिस्ट्री के लिए सीकर में चलाए गए पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद राज्य सरकार ने उसे पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत आगामी 5 फरवरी से संपूर्ण राजस्थान में फार्मर रजिस्ट्री अभियान प्रारंभ किया जाएगा। इसमें राज्य के सभी जिलों में ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर शिविर आयोजित कर किसानों की फार्मर रजिस्ट्री करते हुए उन्हें 11 डिजिट की विशेष आईडी जारी की जाएगी।
यह है एग्रीस्टैक और फार्मर रजिस्ट्री
कृषकों को प्राप्त होने वाली सेवाओं का लाभ कृषक डिजिटली प्राप्त कर सके तथा कृषि कार्य में होने वाले लाभ में वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एग्रीस्टैक- डिजिटल एग्रीकल्चर परियोजना संचालित की जा रही है। एग्रीस्टैक परियोजना का उद्देश्य किसानों के लिए सस्ता ऋण, उच्च गुणवत्ता वाले कृषि आदान, स्थानीयकृत और विशिष्ट लक्षित सलाह और बाजारों तक पहुंच को आसान बनाना है। साथ ही सरकार के विभिन्न हितधारकों द्वारा किसान और कृषि केंद्रित विभिन्न लाभदायी योजनाओं को लागू करना और किसानों को आसानी से उपलब्ध कराना हैं। इसके तहत भू-संदर्भित राजस्व ग्राम मानचित्र (जिओ रेफरेन्स विलेज मैप), जीआईएस बेस रियल टाइम क्रॉप सर्वे तथा अभिलेखों के डायनेमिक लिंकिंग के साथ किसानों का डेटाबेस (फार्मर रजिस्ट्री) की जानी है।
फार्मर रजिस्ट्री के अंतर्गत प्रदेश के कृषक विवरण को एग्रीस्टैक के अंतर्गत तैयार कर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में संकलित किया जाएगा। एग्रीस्टैक में किसानों को किसान पहचान पत्र प्रदान किया जाएगा, यह किसानों की 11 डिजिट की एक अलग पहचान होगी। फार्मर आई. डी. से किसान के समस्त कृषि भूखंड मय हिस्सा जुड़े होंगे एवं इसे किसान के आधार से लिंक किया जाएगा।यह रजिस्ट्रीज़ कृषि क्षेत्र में डेटा की सटीकता, पारदर्शिता और समयबद्धता को सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है। इन तीनों रजिस्ट्रीज़ की स्थापना से राज्य सरकार को किसानों, उनकी कृषि भूमि, फसल उत्पादन और संबंधित गतिविधियों पर रीयल-टाइम डेटा उपलब्ध होगा, जो बेहतर नीति निर्माण और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सहायक होगा। साथ ही यह रजिस्ट्रीज़ कृषकों के लिए भी विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ की उपलब्धता को आसान बनाएगी।
प्रदेश में फार्मर रजिस्ट्री अभियान 5 से
प्रदेश में कृषकों की फार्मर रजिस्ट्री करने के लिए 5 फरवरी से अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत उदयपुर जिले में 5 फरवरी से 9 फरवरी तक जिले की प्रत्येक तहसील में एक-एक ग्राम पंचायत में शिविर आयोजित होगा (प्रति सप्ताह 2 ग्राम पंचायत), 10 फरवरी से 16 फरवरी तक प्रत्येक तहसील की दो-दो ग्राम पंचायतों में शिविरों का आयोजन होगा ( प्रति सप्ताह 4 ग्राम पंचायत) तथा इसी प्रकार 17 फरवरी से 31 मार्च तक प्रत्येक तहसील में पांच-पांच ग्राम पंचायतों (प्रति सप्ताह 10 ग्राम पंचायत) में शिविरों का आयोजन होगा। जिला कलक्टर (भू अभिलेख) अरविन्द पोसवाल ने जिले की सभी तहसीलों में शिविर आयोजन का विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया है। साथ ही प्रभारी अधिकारी नियुक्त करते हुए सभी संबंधित विभागों को भी दायित्व वितरित करते हुए अभियान को सफल बनाने के निर्देश दिए हैं।
यह होगा फार्मर रजिस्ट्री में
फार्मर रजिस्ट्री तैयार करने हेतु राजस्व विभाग के भू-अभिलेख के डेटाबेस को समेकित कर प्रत्येक राजस्व ग्राम के प्रत्येक समान नाम व पिता के नाम वाले कृषको को समेकित करते हुए ऑनलाइन बकेट तैयार कर ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। प्रत्येक जिले में इन बकेट का प्रयोग कर राज्य स्तर से फार्मर रजिस्ट्री तैयार की जाएगा। एप/वेब एप्लीकेशन के माध्यम से कृषक के सभी खसरों को सम्मिलित करते हुए कृषक के आधार से लिंक कराया जाएगा। तत्पश्चात कृषक से ऑनलाइन सहमति प्राप्त करते हुए ई-केवाईसी की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी। इस प्रकार प्रत्येक किसान का नाम, पिता का नाम, स्वामित्व वाले समस्त खसरा संख्या, सह खातेदार होने की स्थिति में खसरे में किसान का हिस्सा, मोबाइल नंबर, आधार संख्या, ई- केवाईसी विवरण फार्मर रजिस्ट्री में दर्ज होगा। किसी प्रकार के स्वामित्व हस्तांतरण (विरासत, बेचान, इत्यादि) होने पर फार्मर रजिस्ट्री स्वतः ही अपडेट हो जाएगी, इसका प्रावधान भी किया जाएगा।
यह है उद्देश्य
अभियान के तहत प्रदेश के समस्त कृषकों की आधार लिंक्ड रजिस्ट्री तैयार की जाएगी, जिससे योजनाओं का नियोजन, लाभार्थियों का सत्यापन, कृषि उत्पादों के विपणन आदि सुविधाजनक होगा। समस्त कृषकों को राज्य सरकार द्वारा कृषकों के कल्याण के लिए संचालित विभिन योजनाओं का लाभ सुगम एवं पारदर्शी तथा समयबद्ध तरीके से उपलब्ध हो सकेगा।योजनाओं में लाभ हेतु अथवा अन्य उद्देश्य से कृषकों की पहचान एवं प्रमाणीकरण में सुगमता होगी। किसानों के लिए कृषि ऋण, वित्त, आदानों और अन्य सेवा प्रदाताओं के लिए कृषि सेवाओं को सुगमता से उपलब्ध कराया जा सकेगा। इसके अलावा प्रदेश के किसानों को बेहतर सेवा देने के लिए कृषि संबद्ध विभागों के बीच योजना अभिसरण का सरलीकरण होगा। उच्च गुणवत्ता वाले डेटा तक आसान पहुंच के साथ एग्रीस्टैक द्वारा उत्पादों और सेवाओं में नवाचार का विस्तार हो सकेगा।
फार्मर रजिस्ट्री से संभावित लाभ
पीएम किसान योजना के अंतर्गत किस्त प्राप्त करने हेतु अनिवार्यता की शर्त को पूर्ण कर वर्तमान में चौपम किसान योजना के लाभार्थी को इस योजना का लाभ लगातार प्राप्त करने में सुगमता होगी। पीएम किसान योजना के संतृप्तिकरण करने में सहायता मिलेगी। कृषकों को फसली ऋण के लिए किसान क्रेडिट कार्ड एवं एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड एवं कृषि के विकास के लिए अन्य ऋण प्राप्त करने में सुगमता होगी। फसल बीमा का लाभ प्राप्त करने में आसानी होगी। इसके साथ साथ आपदा प्रबंधन के अंतर्गत सरकार को क्षतिपूर्ति के लिए कृषकों के चिन्हांकन में सहायता मिलेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद में कृषकों का ऑटो पंजीकरण ऑनलाइन माध्यम से हो सकेगा।कृषकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ प्राप्त करने में कृषि एवं सम्बद्ध विभागों को फार्मर रजिस्ट्री के उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर योजनाओं का लाभ वितरण करने में सुगमता होगी और लाभार्थी का बार-बार सत्यापन आवश्यक नहीं होगा। कृषकों को समय पर वांछित परामर्श, विभिन्न संस्थाओं द्वारा कृषकों से सम्पर्क के अवसर में वृद्धि के साथ साथ नवोन्मेषी कार्यक्रमों के विस्तार में सफलता प्राप्त होगी।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!