सरकार झील पर नीति बनाए, बारातघर न बनाए

आम जन पूछ रहा, आखिर झील को बारातघर बनाने की परमिशन किसने दी
उदयपुर। झीलों का शहर उदयपुर अपनी झीलों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात है और इसी कारण यहां शाही शादियों का क्रेज बढ़ रहा है। किन्तु यहां की झीलों की सुरक्षा को लेकर उतनी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा। हर कोई शहर के मुख्य पेयजल स्रोत झीलों का दोहन मन पड़े वैसे कर रहा है।
उदयपुर की आम जनता का कहना है कि आने वाले दिनों में सेलिब्रिटीज की शादी में बारात झील में स्थित एक होटल से दूसरी होटल तक नावों से ले जाई जाएगी, जबकि जिन होटलों के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है उन्हें झील में पर्यटकों के परिवहन की अनुमति नहीं है। झील में नाव से बारात का आवागमन पहली बार हो रहा है। इसे लेकर झील प्रेमियों ने भी चिंता जाहिर की है कि यह चलन न बन जाये, यदि चलन बन गया तो फिर हमारे पेयजल की स्रोत झीलों की स्थिति क्या होगी, भगवान जाने। पारम्परिक गणगौर नाव का उपयोग भी इस बारात में किया जा रहा है जो इस ऐतिहासिक, पारम्परिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व की नाव के सम्मान को भी प्रभावित करेगा। इतना ही नहीं, क्या सभी बाराती नाव में परिवहन के दौरान सुरक्षा व विधिक नियमों की पालना करेंगे।
झीलों को भरी रखने के लिए करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं। यह करोड़ों रुपये उदयपुर शहर की मौजूदा और भविष्य की प्यास बुझाने के लिए खर्च किए गए हैं। इस योजना से शहरवासियों को भले ही रोजाना पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था नहीं हो सकी है, लेकिन पर्यटन जगत को जरूर पंख लगे हैं।
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक सिंघवी कहते हैं कि झील का मालिकाना हक नगर निगम उदयपुर के पास है और जल का मालिक जल संसाधन विभाग है। संभवतः झील में बारात के लिए संबंधित सक्षम प्राधिकारी से कोई अनुमति नहीं ली गई है। सिंघवी ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि झील के पर्यटन के नाम पर उपयोग की बेहतर नीति बनाए और दोहन की सीमाओं को तय करे। स्थानीय प्रशासन से आग्रह किया है कि झील को बारातघर और पानी को बारात की बस का मार्ग न बनने दे।

By Udaipurviews

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