संबंधों की मधुरता के लिए सम्बोधन की मधुरता अनिवार्य है : आचार्य विजयराज

उदयपुर, 5 अगस्त। केशवनगर स्थित नवकार भवन में सोमवार को प्रातःकालीन अरिहंत बोधि क्लास को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने फरमाया कि बड़ों के साथ सदैव विनय पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। सभी की नकल की जा सकती है लेकिन किसी के चरित्र, स्वभाव, संस्कार, ज्ञान और पुण्य की नकल नहीं की जा सकती ये सबके अपने-अपने होते हैं। व्यावहारिक जीवन में संबंधों की मधुरता के लिए सम्बोधन की मधुरता अनिवार्य है इसलिए सदैव प्रिय सम्बोधन करिये।
उदयपुर श्रीसंघ के अध्यक्ष इंदर सिंह मेता ने बताया कि सोमवार प्रातः नवकार भवन में प्रकांड विद्वान आचार्य आनंदऋषि जी म.सा. की जन्म जयंती एवं मरूधरा सिंहनी नानु कंवर जी म.सा. की पुण्यतिथि के अवसर पर गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया। गुणानुवाद सभा को सम्बोधित करते हुए आचार्य श्री विजयराज जी म.सा. ने फरमाया कि आचार्य आनंद ऋषि जी म.सा. श्रमण संघ के दैदीप्यमान नक्षत्र थे। उनके नेतृत्व में श्रमण संघ का चहुंमुखी विकास हुआ। उन्होंने ज्ञान की अलख जगाने हेतु श्री त्रिलोकरत्न स्थानकवासी जैन धार्मिक परीक्षा बोर्ड की स्थापना में महनीय भूमिका निभाई। आपने जीव दया, चिकित्सा के क्षेत्र में अनेक अविस्मरणीय कार्यों को प्रोत्साहन दिया। मरूधरा सिंहनी नानु कंवर जी म.सा. का जन्म भले ही स्त्री पर्याय में हुआ पर हकीकत में वह मरूधरा की दबंग सिंहनी थी। उपाध्याय श्री जितेश मुनि जी म.सा. ने फरमाया कि पापभीरूता व्यक्ति को सद्कार्यों में प्रवृत्ति करने को प्रेरित करती है। पाप की पकड़ व्यक्ति को पहले भिखारी बनाती है और फिर विकारी बना देती है। जीवन में शान्ति की चाह रखने वालों को पाप से बचना चाहिए। मंत्री पुष्पेन्द्र बड़ाला ने बताया कि आज का दिवस तीन-तीन सामायिक के साथ आयम्बिल एवं नीवि दिवस के रूप में मनाया गया।

By Udaipurviews

Related Posts

error: Content is protected !!