उदयपुर। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से सिन्धी बाजार स्थित पंचायती नोहरे में श्रमण संघीय प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज ने चातुर्मास के अवसर पर प्रातः कालीन धर्म सभा में कहा कि भगवान महावीर की वाणी सुनने, उसे जीवन में उतारने से हमारा आत्म कल्याण होता है। जो अहंकारी होते हैं उनमें धर्म भावना कभी प्रकट नहीं हो सकती। मनुष्य को मोक्ष मार्ग पर जाने के लिए विद्वता की नहीं बल्कि ज्ञान की आवश्यकता होती है। विद्वान और ज्ञानवान में फर्क बताते हुए उन्होंने कहा कि विद्वान तो बाहरी ज्ञान से बन जाता है।
शास्त्र पढ़कर आगम पढ़कर या गुरु के सानिध्य में रहकर मनुष्य में विद्वता आ सकती है लेकिन ज्ञान हमेशा भीतर से प्रकट होता है। ज्ञान का मतलब होता है हमारे गुरु के प्रति श्रद्धा और समर्पण होना चाहिए। ज्ञान का स्वरूप व्यापक होता है जबकि विद्वता का स्वरूप सीमित होता है। भगवान महावीर स्वामी ने ही दुनिया को आत्मा का ज्ञान करवाया। आत्मा की अनुभूति अपने भीतर से ही हो सकती है। हम आत्मा को देख नहीं सकते केवल महसूस कर सकते हैं। जिस तरह से हम शीत को देख नहीं सकते लेकिन उसे अनुभव कर सकते हैं।
उप प्रवर्तक अमृतमुनिश्री ने कहा कि जीवन में कई तरह के लोग होते हैं। कोई चिंतनशील होते हैं तो कोई भी विनोदी स्वभाव के होते हैं जो अपनी बात को विनोद विनोद में ही कह जाते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो सुनी सुनाई बातें ही करते हैं। उनमें खुद का कोई ज्ञान नहीं होता है। मुनीश्री ने नवकार महामंत्र का महत्व बताते हुए श्रावकों से कहा कि हमेशा इसका जाप करते रहना चाहिए। जाप से जीवन में परिवर्तन आता है। जाप कोई भी कर सकता है। जाप करने से हमारा जीवन निर्माण होता है और सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
डॉ.वरुण मुनि ने कहा कि आत्मा को जानने के लिए उसे छूना पड़ेगा। आत्मा हमें कभी नजर नहीं आती है लेकिन हम उसकी शक्ति का अनुभव कर सकते हैं।
महामंत्री एडवोकेट रोशन लाल जैन ने बताया कि चातुर्मास कल से णमोकार महामंत्री की धर्म आराधना निरंतर जारी है बाहर से पधारे हुए अतिथियों का धर्म सभा में बहुमन किया गया।
अहंकारी व्यक्ति में कभी धर्म भावना नहीं आती:सुकनमुनि
