बाल मित्र वातावरण हेतु ग्राम स्तर पर प्रयास आवश्यक -डॉ. यादव
बाल मित्र पंचायत बनाने में सभी को मिलकर करना होगा प्रयास -कलक्टर मीणा
उदयपुर, 23 दिसंबर। आए दिन बच्चों के साथ पुरे राष्ट्र में कहीं न कहीं शोषण की घटना पत्र-पत्रिकाओं में पढने को मिलती है। घटना हो जाने बाद तो सरकार एवं संस्थाएं प्रयास करती ही है परन्तु इन घटनाओं को रोकने एवं जड़ से खत्म करने की दिशा में ग्राम एवं पंचायत स्तर तक बच्चों के संरक्षण हेतु गठित समितियों को हमें सशक्त करना होगा। इस दिशा मेंं बाल मित्र पंचायत की अवधारणा प्रशंसनीय है तथा कार्यशाला से प्राप्त सुझावों पर पॉलिसी स्तर पर कार्य हो, इस हेतु राजस्थान सरकार प्रयास करेगी। यह विचार राजस्थान एससी विकास एवं वित्त आयोग, राजस्थान सरकार के अध्यक्ष (राज्यमंत्री) डॉ. शंकर यादव ने जिला प्रशासन, यूनिसेफ राजस्थान एवं गायत्री सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शहर के अम्बावगढ स्थित निजी हॉटल में आयोजित बाल मित्र पंचायत विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
इस अवसर पर जिला कलक्टर ताराचन्द मीणा ने बताया कि उदयपुर के सराड़ा पंचायत समिति के निम्बोदा ग्राम पंचायत की तर्ज पर सभी पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समितियों को सशक्त किया जाना आवश्यक है। बाल मित्र पंचायत बनाने में प्रशासन एवं स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं की अहम भूमिका है। इस अवसर पर कार्याशाला के संयोजक एवं बाल अधिकार विशेशज्ञ डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने कार्याशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए भारत सरकार द्वारा संचालित समेकित बाल संरक्षण योजना अन्तर्गत गठित समितियों एवं बाल मित्र पंचायत की अवधारणा पर सार्थक जानकारी प्रदान की।
जन्म से बालिग होने तक हमारी पंचायत करती है सुरक्षा
कार्याशाला में प्रमुख वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातनाम पद्मश्री से सम्मानित राजसमन्द जिले के पिपलान्त्री ग्राम पंचायत के पूर्व संरपच डॉ. श्याम सुन्दर पालीवाल ने बताया कि कैसे उनकी ग्राम पंचायत विभिन्न सूचकों के आधार पर मॉडल बनी। पिपलान्त्री में बालिका के जन्म के समय अनिवार्य रूप से वृक्षारोपण के साथ उसके बैंक खाते में हम विशेष राशि भी जमा करवाते हैं। हमारे यहाँ जन्म से बालिग होने तक सुरक्षा की जिम्मेदारी पंचायत एवं परिवार दोनों उठाते हैं।
ग्राम से जिला स्तर की समितियो में समन्वय आवश्यक
सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं शिक्षाविद् डॉ. सुमतीलाल बोहरा ने तकनीकी सत्र में जानकारी देते हुए ग्राम पंचायत से जिला स्तर पर गठित जिला बाल संरक्षण ईकाई के समन्वय हेतु आवश्यक तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए बाल मित्र पंचायत एवं पूरे राष्ट्र में हुए बेस्ट प्रैक्टिस को बताया।
इस अवसर पर वी.वी गीरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान, नई दिल्ली के सीनियर फैलो एवं बाल अधिकार विषेशज्ञ डॉ. महावीर जैन, राजस्थान जनजाति परामर्शदात्री एवं राजस्थान बीस सुत्री कार्यक्रम के सदस्य लक्ष्मीनारायण पण्ड्या, यूनिसेफ राजस्थान के बाल अधिकार विशेषज्ञ संजय कुमार निराला, राजस्थान बाल आयोग राजस्थान सरकार, जयपुर के सदस्य राadpजीव मेघवाल, राजस्थान उपभोक्ता आयोग के सदस्य रामफूल गुर्जर, पूर्व सदस्य राजस्थान बाल आयोग गोविन्द बेनिवाल ने भी अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। कार्यशाला का संचालन गायत्री सेवा संस्थान से आशिता जैन ने किया।