उदयपुर।भारतीय सिन्धु सभा उदयपुर द्वारा सिन्ध स्मृति दिवस एवं विभाजन विभीषिका दिवस का आयोजन श्री सनातन धर्म मंदिर शक्तिनगर मे आयोजित हुआ। इस अवसर पर अखंड भारत के सिन्ध प्रान्त को याद करते हुए भारत माता का पूजन किया गया। बंटवारे की त्रासदी से पीड़ित लोगों के साहस, संघर्ष एवं बलिदान को याद किया गया।
सिन्धु सभा के महानगर अध्यक्ष गुरमुख कस्तुरी एवं सभा के युवा ईकाई अध्यक्ष विजय आहुजा ने बताया कि आयोजन के मुख्य वक्ता डॉ मनोहर लाल कालरा ने अपने उद्बोधन मे कहा कि विश्व के अब तक के सबसे बड़े मानव विस्थापन एवं केवल भोग़ोलिक ही नही दिलों के विभाजन भी हुए हैं। सिन्ध प्रान्त की पुरानी विरासत का स्मरण करते हुए वहां के श्रेष्ठ मूल्य एवं स्वाभिमान का उल्लेख करते हुए बताया कि सिन्धु घाटी की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यता है मोहिन जो धड़ो इसका उदाहरण है।
सिन्धु सभा के प्रदेश संरक्षक सुरेश कटारिया एवं नानक राम कस्तुरी ने बताया कि आयोजन की अध्यक्षता करते हुए श्री झूलेलाल सेवा समिति के अध्यक्ष प्रताप राय चुग ने अपने उद्बोधन में कहा कि विधर्मी बन कर विलासिता पूर्ण पाक मे अपना जीवन व्यतीत करने के बजाय बलिदान दे कर, कष्ट, जुल्म व अत्याचार सहन कर अपने सनातन धर्म की रक्षा हेतु अपना सिन्ध प्रान्त छोड़ कर विभाजित भारत के अलग अलग शहरों मे शरण ली। आपने बताया कि सिन्धी समाज अपने परिश्रम से शरणार्थी से अब परमार्थी बना है।
सिन्धु सभा के महामंत्री डॉ किशोर पाहुजा एवं संगठन मंत्री जितेन्द्र तलरेजा ने समाज के शून्य से शिखर तक पहुंचने के प्रयास का उल्लेख किया। आपने अखंड भारत के अतीत के ज़ख्मों को याद करते हुए भविष्य के संकल्प चूनने पर बल दिया।
आयोजन की अध्यक्षता हिरन मगरी सिन्धी पंचायत के अध्यक्ष श्री मुरली राजानी ने की। सभा के प्रारम्भ मे प्रताप राय चुग एवं मुरली राजानी को उपरणा पहना कर स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया । स्वागत उद्बोधन सिन्धु सभा के नगर संरक्षक नानक राम कस्तुरी ने किया। संचालन गुरमुख कस्तुरी ने किया। धन्यवाद सुरेश कटारिया ने दिया।
इस आयोजन मे उर्मिल नन्दवानी , सुन्दरी छतवानी,शालू बिलोची, अशोक मन्दवानी, भगवान सचदेव, अशोक मन्दवानी , प्रकाश फुलानी, राम खियाण आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान से हुआ।
