फतहनगर। चुंडावतखेड़ी में चुंडावत परिवार के सौजन्य से चल रही श्रीमद्भागवत के तीसरे दिन गुरुवार को भागवत कथा मार्मज्ञ पूज्य श्री लालगोविंद प्रभु ने दोपहर 1 से 5 बजे तक व्यास पीठ से संगीत मय भागवत कथा का वाचन करते हुए कहा कि इस जीवन में कमाया हुआ धन किसी के भी अगले जीवन में साथ नहीं जाता हैl कहा जाता है कि कफन में कोई जेब नहीं होती है।सिकन्दर भी जब गया तो खाली हाथ था। पूर्व जन्म की भक्ति, हरि कथा और हरी स्मरण सदैव साथ रहता है।जीवन में कमाया भक्ति कर्म ही वह धन है जो हर जन्म में साथ रहता है। धन उपार्जन करके आध्यात्मिक पुण्य कमाना ही धन का सर्वश्रेष्ठ उपयोग है।
मीराबाई के कृष्ण एवं सन्त भक्ति का अति मार्मिक चित्रण करते हुए कहा कि मीराँ जीवन पर्यन्त मूर्ति को प्रभु का विग्रह मानकर ही अखण्ड विश्वास के साथ समर्पित रही थी। आगे कहा कि जिसके साथ संबंध रहता है उससे असीम प्रेम निश्चित हो ही जाता है। गिरिराज पूजा के महत्व को बताते हुए श्री कृष्ण के गिरिराज धारण करने का सुंदर चित्रण किया।
जड़ भरत प्रसंग, वज्र के लिए ऋषि दधीचि के त्याग, वक्रासूर उद्धार एवं गजेंद्र मोक्ष के भावविभोर करने वाले प्रसंगों के साथ कथा को विश्राम दिया गया।
आज कथा आयोजन में मीरज से पधारे अतिथियों का आयोजक परिवार द्वारा स्वागत एवं सम्मान किया गया।
महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया एवं सभी ने महाप्रसादी में भोजन प्रसाद ग्रहण किया।